Thursday, August 13, 2015

Honesty and Wisdom

मुल्ला नसरुद्दीन मरता था तो उसने अपने बेटे को कहा कि अब मैं तुझे दो बातें समझा देता हूं। मरने के पहले ही तुझे कह जाता हूं इन्हें ध्यान में रखना। दो बातें हैं। एक-आनेस्टी (ईमानदारी) और दूसरी है-विजडम (बुद्धिमानी)। तो, दुकान तू सम्हालेगा, काम तू सम्हालेगा। दुकान पर तखती लगी है—आनेस्टी इज द बैस्ट पालिसी। (ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।) इसका तू पालन करना। कभी किसी को धोखा मत देना। कभी वचन भंग मत करना। जो वचन दो, उसे पूरा करना।

बेटे ने कहा, ‘ठीक, दूसरा क्या है? बुद्धिमानी, उसका क्या अर्थ है?’
नसरुद्दीन ने कहा, ‘ भूलकर कभी किसी को वचन मत देना।’

बस, ऐसा ही विपरीत बंटा हुआ जीवन है। ईमानदारी भी और बुद्धिमानी भी, दोनों संभालने की कोशिश है। वचन पूरा करना ईमानदारी का लक्ष्य है। वचन कभी न देना बुद्धिमानी का लक्ष्य है। इधर तुम चाहते हो कि लोग तुम्हें संत की तरह पूर्जे और उधर तुम चाहते हो कि तुम पापी की तरह मजे भी लूटो। बड़ी कठिनाई है। इधर तुम चाहते हो कि राम की तरह तुम्हारे चरित्र का गुणगान हो; लेकिन उधर तुम रावण की तरह दूसरे की सीता को भगाने में तत्‍पर हो। तुम असंभव संभव करना चाहते हो। तुम होना तो रावण जैसा चाहते हो; प्रतिष्ठा राम जैसी चाहते हो। बस, तब तुम मुश्किल में पड़ जाते हो। तब विपरीत दिशाओं में तुम्हारी यात्रा चलती है और अनंत तुम लक्ष्य बना लेते हो। उन सब में तुम बंट जाते हो। टुकड़े टुकड़े हो जाते हो। जीवन के आखिर में तुम पाओगे जो भी तुम लेकर आये थे, वह खो गया।

ओशो 

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