मैं बहुत बार तुम्हें कहा भी हूं कि बुद्ध कहते हैं, अश्व वही है जो कोड़े की छाया से चल पड़े। उससे कम श्रेष्ठ वह है जिसे कोड़े की फटकार चलाने के लिए जरूरी हो। उससे कम श्रेष्ठ वह है जिस घोड़े को कोड़े की चोट मारनी जरूरी हो। उससे कम श्रेष्ठ वह है जो मारे मारे न चले। चले भी तो जबरदस्ती चले।
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