Friday, May 27, 2016

प्यारे ओशो! दो दिन पूर्व मैं आपके प्रवचन में पूरा समय सोता रहा और उसके समाप्त होने के समय आपका एक शब्द ” केवल अकेला एक मन ” सुनते हुए ही मैं जागा इसलिए अब मैं क्या करूं?


केवल एक मन के साथ जियो। यह संदेश इतना अधिक स्पष्ट कि इसमें पूछने जैसा है ही क्या? तुम्हारे ही अस्तित्व ने तुम्हें एक महान संदेश दे है।
 
कभी कभी ऐसा होता है कि गहरी नींद के बाद तुम अपने अस्तित्व के गहरे केन्द्र से संदेश पाते हो। सुबह उठते ही अपने मन में आने वाले पहले विचार को सुनने का प्रयास करो, क्योंकि नींद से जागते ही तुम अपने अस्तित्व के बहुत निकट होते हो। जागने के दो या तीन सेकिंड में इस बात की अधिक सम्भावना होती है कि तम अपने अस्तित्व की गहराई की कुछ झलक या संदेश पा सको। दो या तीन क्षणों के बाद ही तुम्हारा उसके साथ सम्बंध टूट जाता है। तुम फिर से इसी संसार में फेंक दिए जाते हो। लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है और ऐसा बहुत थोड़े से लोगों को ही होता है, कि मुझे सुनते ही वे सो जाते हैं। यहां भिन्न भिन्न तरह के व्यक्ति हैं।

उदाहरण के लिए ठीक अभी शीला गहरी नींद में है, लेकिन उसकी नींद वास्तव में बहुत सुंदर है, यह नींद न होकर एक तरह के परमानंद की स्थिति है। वह केवल परम विश्राम में है। मुझे गहरे में सुनते हुए वह तनावग्रस्त नहीं हो सकती थी। उसका सारा तनाव दूर हो गया, इसिलए वह विश्राम में चली गई अपने अस्तित्व की गहरी पर्त में वह विश्राम कर रही है। बाहर से देखने वाले सभी लोगों को वह गहरी नींद में सोती हुई दिखेगी। जब वह जागेगी तो वह स्वयं नहीं समझ पाएगी कि आखिर हुआ क्या, क्योंकि उसे भी वह नींद ही दिखाई देगी, यह नींद नहीं है यह विशिष्ट दशा है योग में हम इसे तंद्रा कहते हैं। यह जागृति और निद्रा के बिना स्वप्नों की मध्य की स्थिति है।


इसलिए गहरी निद्रा और जागरण के मध्य वहां दो तल होते हैं। यदि तुम दोनों के मध्य की स्थिति में हो, तो स्वप्न देखने की सामान्य दशा होती है, जब तुम सपने देखते हो।


या तो तुम जागे हुए हो, अथवा तुम गहरी नींद में हो, अथवा तुम स्वप्न देख रहे हो। और सपने, जागने और सोने के ठीक बीच में होते हैं। यह दोनों के बीच एक गलियारा है। सामान्य रूप से होता ही होता है।

लेकिन यदि तुम्हारा ध्यान गहराई तक जाता है, अथवा तुम्हारा प्रेम बहुत गहरे में जाता है, तो तुम्हारी चेतना में जो पहला परिवर्तन घटित होता है। वह मध्य की स्थिति में होता है और स्वप्न आना बंद हो जाता है। अब यह कहना बहुत कठिन है कि यह क्या है। तुम इसके बारे में यह सोच सकते हो कि यह निद्रा है अथवा यह जागृति है। यह दोनों जैसे साथ साथ हैं यह ठीक दोनों के बीच का संतुलन है, यह एक बहुत संतुलित दशा है।
तंद्रा पहली झलक है। यह सतोरी की शुरुआत है। सपने पहले मिटते हैं। तब अगले कदम में नींद भी मिट जाती है और तब तीसरे चरण में जिसे तुम जागृति कहते हो, वह भी चली जाती है। और जब यह तीनों चीजें विलुप्त हो जाती हैं, तब जो स्थिति उत्पन्न होती है उसी को हम वास्तविक जागरण कहते हैं। तब कोई भी बुद्धत्व को, या बोध को उपलब्ध होता है। तंद्रा पहला चरण है सपने विलुप्त हो रहे है।

इसलिए कभी कभी ऐसा होता है कि लोग यहां सो जाते हैं, वे परम आनंद और विश्राम की स्थिति में पहुंच जाते हैं। इस स्थिति को तंद्रा कहा जा सकता है। सभी व्यवहारिक कार्यों के लिए ये लोग सोये हुए हैं, ये लोग मेरे शब्दों को याद न रख सकेंगे। लेकिन जब वे वापस आते हैं, तब उन्हें यह स्मरण आएगा कि कोई चीज बहुत गहरे मौन में घटित हुई है किसी चीज का उनकी ऊर्जा में परिवर्तन हुआ है। यह बहुत गहरे विश्राम की स्थिति है। इसी गहन विश्राम की स्थिति में कोई संदेश मिलता सा लगता है, इसे बहुत सावधानी से सुनो।


प्रेमयोग 

ओशो 

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