Tuesday, October 24, 2017

जीवन का सत्कार






मैं जीवन का सत्कार करता हूं। मेरे मन में जीवन और परमात्मा पर्यायवाची हैं। और कोई परमात्मा नहीं है--जीवन को छोड़कर। जीवन को अहोभाव से स्वीकार करो। और परमात्मा ने तुम्हें जहां, जैसा बनाया है, वहीं जीओ। और वहीं जीते-जीते शांत बनो, मौन बनो, शून्य बनो।

प्रीतम छवि नैनन बसी 

ओशो

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