Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Thursday, September 20, 2018

कई बार मित्रों ने मुझे कहा है, 'अच्छा होता यदि आप और कृष्णमूर्ति मिलते।’



  तो मैंने उनसे कहा, 'कृष्णमूर्ति से पूछो और यदि वह मिलना चाहें तो मैं आ जाऊंगा। लेकिन वहां होगा क्या? हम करेंगे क्या? हम क्या बातचीत करेंगे? हम मौन रहेंगे। तो जरूरत ही क्या है?' लेकिन वे कहते हैं, 'यदि आप दोनों मिलते तो बहुत अच्छा होता। हमारे लिए अच्छा होता। आप जो कहेंगे उसे सुनकर हमें बड़ा सुख होगा।


तो मैं उन्हें एक कहानी कहता हूं। एक बार ऐसा हुआ कि एक मुसलमान फकीर, फरीद, यात्रा कर रहे थे। जब वे दूसरे संत कबीर के गांव के निकट पहुंचे तो फरीद के शिष्यों ने कहा कि यदि वे दोनों मिलें तो बहुत अच्छा होगा। और जब कबीर के शिष्यों को यह पता चला तो उन्होंने भी आग्रह किया कि जब फरीद गुजर रहे हैं तो उन्हें निमंत्रित करना चाहिए। तो कबीर ने कहा, 'ठीक है।फरीद ने भी कहा, 'ठीक है। हम चलेंगे, लेकिन जब मैं कबीर की कुटिया में प्रवेश करूं तो कुछ भी कहना मत, बिलकुल मौन रहना।
दो दिन तक फरीद कबीर की कुटिया में रहे। दो दिन तक वे मौन बैठे रहे। और फिर कबीर गांव की सीमा तक फरीद को विदा करने आए, और मौन में ही वे विदा हुए। जैसे ही वे विदा हुए दोनों के शिष्य पूछने लगे।


कबीर के शिष्यों ने उनसे पूछा, 'यह क्या हुआ? यह भी खूब रही! आप दो दिन तक मौन ही बैठे रहे, एक शब्द भी नहीं बोले, और हम सुनने को इतने उत्सुक थे !' फरीद के शिष्यों ने भी कहा, 'यह क्या हुआ? बड़ा अजीब लगा। हम दो दिन तक देखते ही रहे, देखते ही रहे, इंतजार करते रहे कि इस मिलन से कुछ निकले। लेकिन कुछ हुआ नहीं।


कहते हैं फरीद ने कहा, 'तुम्हारा मतलब क्या है? दो ज्ञानी बात नहीं कर सकते; दो अज्ञानी बहुत बात कर सकते हैं लेकिन सब व्यर्थ है, बल्कि हानिकारक है। एकमात्र संभावना यह है कि एक ज्ञानी अज्ञानी से बात करे।और कबीर ने कहा, 'जो कोई एक शब्द भी बोलता वह यही सिद्ध करता कि वह अज्ञानी है।
तुम सलाहें मांगे चले जाते हो सहारे खोजते रहते हो। इसे अच्छी तरह से समझ लो कि यदि तुम सहारे के बिना नहीं रह सकते तो अच्छा है कि समझ-बूझ कर कोई सहारा, कोई मार्गदर्शक चुन लो। यदि तुम सोचते हो कि कोई जरूरत नहीं है, कि तुम स्वयं ही पर्याप्त हो, तो कृष्णमूर्ति या किसी ओर से पूछना बंद करो। आना-जाना बंद करो ओर अकेले हो रहो।


ऐसे लोगों को भी घटना घटी है जो अकेले थे। लेकिन यह कभी-कभार ही होता है, करोड़ों में किसी एक व्यक्ति को। वह भी बिना किसी कारण के नहीं। वह व्यक्ति कई जन्मों से खोजता रहा होगा; वह कई सहारे कई गुरु, कई मार्गदर्शक खोज चुका होगा और अब ऐसे बिंदु पर पहुंच गया है जहां अकेला हो सकता है। केवल तभी ऐसा होता है। लेकिन जब भी किसी व्यक्ति के साथ ऐसा होता है कि अकेला ही वह परम को उपलब्ध कर लेता है तो वह कहने लगता है कि ऐसा तुम्हें भी हो सकता है। यह स्वाभाविक है।

 
क्योंकि कृष्णामूर्ति को यह अकेले हुआ तो वह कहे चले जाते हैं कि तुम्हें भी हो सकता है। तुम्हें ऐसा नहीं हो सकता! तुम सहारे की खोज में हो और उससे पता चलता है कि तुम यह अकेले नहीं कर सकते। तो अपने से ही धोखा मत खाओ! हो सकता है तुम्हारे अहंकार को अच्छा लगे कि मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं है! अहंकार सदा इसी भाषा में सोचता है कि 'मैं अकेला ही पर्याप्त हूं।लेकिन वह अहंकार काम नहीं आएगा। वह तो सबसे बड़ी बाधा बन जाएगा।


तंत्र सूत्र 

ओशो

No comments:

Post a Comment

Popular Posts