Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Thursday, August 4, 2016

इंतजाम


जीवन तो एक निरंतर प्रयोग है। उसमें गणित के फार्मूले नहीं हैं कि तुमने पकड़ ली लकीर और चल पड़े। पहले तो तुम्हें खोजना ही होगा कि कौन सा मार्ग तुम्हें जमेगा। बहुत बार भटकोगे, बहुत बार गलत मार्ग पर चलोगे, लौटोगे, वापस आओगे। अनेक भूलें होंगी, चूके होंगी, तब कहीं ठीक से साज बैठेगा। तो इसलिए अगर एक ही मार्ग बता दिया जाए, तो डर है कि तुम पहुंच ही न पाओगे। 

ऐसा हुआ, एक मजे की घटना घटी। मैं वर्धा में बजाजवाड़ी में मेहमान था। जमनालाल जी का अतिथिगृह। जमनालाल जी के पुराने मुनीम, वृद्ध, बड़े अनुभवी और अनूठे सज्जन चिरंजीलाल बड़जात्या मेरी देख रेख करते थे।

जिस दिन मुझे बजाजवाड़ी छोड़नी थी, जाना था वर्धा से, ट्रेन मेरी रात तीन बजे जाती थी। तो मैंने उन्हें कहा कि तीन बजे मुझे जाना है। तो उन्होंने कहा, आप चिंता न करें। मैं सभी इंतजाम किए देता हूं। मैंने उनसे पूछा, सभी इंतजाम? उन्होंने कहा, आप रुके, आप देखेंगे।

उन्होंने ड्राइवर को बुलाया, कहा कि कार ठीक दो बजे यहां द्वार पर लग जानी चाहिए। फिर तांगे वाले को बुलाया और उसे कहा कि ठीक दो बजे तांगा खड़ा कर देना। फिर एक रिक्शे वाले को बुलाया और कहा कि तू तो रिक्‍शा अभी ले आ और यहीं सो जा। मैंने उनसे पूछा, मुझ अकेले के लिए तीन बहुत ज्यादा हो जाएंगे। कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि जमनालाल जी से मैंने कुछ बातें सीखीं, उनमें एक यह है कि एक काम करना हो, तो तीन इंतजाम करने चाहिए। अगर कार आ गयी, तो ठीक। क्या भरोसा, आदमी सौ जाए, झपकी लग जाए! सर्द रात है, कार स्टार्ट ही न हो! तो तांगा वाला आ जाएगा। मगर घोड़ा बीमार पड़ जाए; तांगा वाला किसी और काम मैं उलझ जाए, भूल जाए, न आ सके। तो यह रिक्शा वाला यहां सोया ही हुआ है। और अगर कोई भी न रहा, तो मैं तो यहां हूं ही। सामान मैं ढोऊंगा; हम पैदल चलेंगे। तो मैंने सब इंतजाम कर लिए हैं!

कृष्‍ण सारे इंतजाम किए दे रहे हैं। इसलिए कृष्ण बार बार बहुत से शब्द दोहराते हैं। तुम कहोगे, एक से कहने से ही काम चल जाता, इतने शब्द क्यों दोहराते हैं? क्यों बार बार दोहराते हैं? वे सब इंतजाम कर रहे हैं, ताकि कोई भी संभावना शेष न रह जाए, जिससे तुम पहुंच सकते थे और जिसका तुम्हें पता न हो। सब द्वार खोल देते हैं। फिर तुम्हें जिससे आना हो, जिससे आना तुम्हें जमे, रास पड़े, तुम उसी से आ जाना।

मार्ग सब उसी के हैं। सब मार्ग उसी की तरफ ले जाते हैं। लेकिन कोई मार्ग किसी को ले जाएगा, कोई मार्ग किसी और को ले जाएगा।

 गीता दर्शन 

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts