स्मरण रखो, जब कभी भी चुनाव करना हो,
अनजाने पथ को चुन लो। लेकिन तुमको ठीक इसका उलटा सिखाया गया है।
तुमको सदैव जाने हुए का चुनाव करना सिखाया गया है। तुम्हें बहुत चालाक और होशियार
होना सिखाया गया है। निःसंदेह जाने हुए के साथ सुविधाएं हैं। पहली सुविधा यह है कि
जाने हुए के साथ तुम अचेतन बने रह सकते हो। वहां पर चेतन होने की कोई आवश्यकता
नहीं है। यदि तुम उसी रास्ते पर चल रहे हो, तब तुम करीब करीब
सोए हुए, निद्रागामी की भांति चल सकते हो। यदि तुम अपने
स्वयं के घर वापस आ रहे हो और प्रतिदिन तुम उसी रास्ते से आया करते हो, तब तुमको सजग होने की आवश्यकता नहीं है; तुम
मात्र अचेतन होकर आ सकते हो। जब दाएं मुड़ने का समय आता है तुम मुड़ जाते हो;
किसी प्रकार की सजगता रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसीलिए लोग
पुराने रास्तों का अनुगमन करना पसंद करते हैं,' सजग होने
की कोई आवश्यकता नहीं है। और सजगता उपलब्ध किए जाने वाली कठिनतम चीजों में से एक
है। जब भी तुम एक नई दिशा में जा रहे हो, तो तुम को
प्रत्येक कदम पर सजग होना पड़ेगा।
नये का चुनाव करो। यह तुमको सजगता प्रदान
करेगा, सुविधापूर्ण
नहीं होने जा रहा है यह। विकास कभी सुविधापूर्ण नहीं होता, विकास कष्टप्रद होता है। पीड़ा के माध्यम से विकास होता है। तुम अग्नि
से होकर गुजरते हो, किंतु केवल तभी तुम खरा सोना बनते हो।
फिर वह सभी कुछ जो स्वर्ण नहीं है जल जाता है, भस्मीभूत
हो जाता है। केवल शुद्धतम तुम्हारे भीतर बचा रहता है। तुमको पुराने का अनुगमन करना
सिखाया गया है, क्योंकि पुराने रास्ते पर तुम कम गलतियां
कर रहे होगे। लेकिन तुम आधारभूत गलती कर लोगे, और आधारभूत
गलती यह होगी कि विकास केवल तभी होता है जब तुम नये के लिए, नई गलतियां करने की संभावना के साथ, उपलब्ध
रहते हो। निःसंदेह पुरानी गलतियों को बार बार दोहराने की काई आवश्कता नहीं है,
बल्कि नई गलतियों को करने का साहस और क्षमता जुटाओ क्योंकि
प्रत्येक नई गलती एक सीख बन जाती है, सीखने की एक
परिस्थिति बन जाती है। प्रत्येक बार जब तुम भटकते हो तुमको वापस घर लौटने का
रास्ता खोजना पड़ता है। और यह जाना और आना, यह लगातार भूल
जाना और याद करना, तुम्हारे अस्तित्व के भीतर एक समग्रता
निर्मित कर देता है।
पतंजलि योगसूत्र
ओशो
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