हमने कहानियां सुनी हैं कि अगर कोई
भूत-प्रेत की दोस्ती बना ले तो वह काम मांगता है। उसे काम चाहिए। मैंने सुना है एक
आदमी ने एक प्रेत को जगा दिया। उस प्रेत ने जगते समय उससे एक शर्त कर ली थी--मुझे
काम चाहिए, मैं
बिना काम के न रह सकूंगा। अगर कहीं प्रेत होते हैं तो जरूर उसने यह शर्त की होगी,
क्योंकि प्रेत के पास शरीर नहीं रह जाता, सिर्फ मन ही रह जाता है। उसे काम चाहिए। विश्राम की उसे जरूरत ही नहीं
रही।
शरीर को विश्राम भी चाहिए, मन को विश्राम की जरूरत
ही नहीं। इसलिए जब शरीर भी सो जाता है रात, तब भी मन
सपनों में काम करता रहता है। सपने मन के काम की दुनिया है। जब शरीर भी थक कर गिर
पड़ा है, तब भी मन थकता नहीं! वह तो सपने देखना शुरू कर
देता है। और जो काम दिन में न किये हों, उनको रात सपने
में कर लेता है!
आदमी के रात के सपने देखकर हम बता सकते हैं
कि इस आदमी ने दिन में किन-किन कामों से अपने को रोका। अगर किसी ने उपवास किया है
तो उसके सपने से पता चल जायेगा,
क्योंकि रात वह भोजन करेगा। अगर किसी ने संयम साधा है तो रात वह
भोग करेगा। और किसी ने अगर दिन में क्रोध रोका है तो रात वह क्रोध कर लेगा। जब
शरीर विश्राम करेगा, तब मन ने जो-जो मांगें दिन में की
थीं और किन्हीं कारणों से रुक गयी थीं, उन्हें हम पूरा
करते हैं।
प्रेत के पास सिर्फ मन ही है। उसने अगर मांग
की हो तो कोई आश्चर्य नहीं! उसने कहा,
मुझे काम चाहिए। जिस आदमी ने जगाया था प्रेत को, उसने कहा, काम के लिए ही तो हम तुम्हें जगा
रहे हैं, काम हम बहुत देंगे। लेकिन काम बहुत जल्दी चुक
गये, क्योंकि प्रेत क्षण भर में काम कर लाया! उसने फिर
आकर मांग की कि काम दो। सांझ होते-होते वह आदमी घबरा गया, क्योंकि कोई काम बचा नहीं!
हम भी घबरा जायेंगे, अगर कोई काम न बचे।
हम भी घबरा जायेंगे, अगर कोई काम न बचे। प्रेत
भी मुश्किल में पड़ गया! उसने कहा, मुझे जगा लिया! मैं
सोता था तो ठीक था, अब जागकर मुझे काम चाहिए। अब वह आदमी
घबरा गया, क्योंकि उसके पास काम न था।
उसने कहा ठहरो, गांव में एक फकीर है,
मैं उससे पूछ आता हूं। जब भी मैं मुश्किल में पड़ जाता हूं,
उसने मेरी सहायता की है। आज एक नयी तरह की मुश्किल पड़ गयी। अब तक
हमेशा यही मुश्किल थी कि कोई काम कैसे हल हो। आज यह एक मुसीबत हो गया--बेकाम कैसे
रहा जाये?
आज अमरीका उस हालत में पहुंच रहा है।
टेक्नॉलॉजी ने एक प्रेत जगा लिया है,
जो आदमी को काम से मुक्त कर दे। अमरीका का विचारक, एक ही परेशानी में है आज, वह यह कि बीस-पच्चीस
साल में टेक्नॉलॉजी हर आदमी को काम से छुटकारा दिला देगी, फिर क्या होगा? आदमी कहेगा, काम दो। काम हमारे पास नहीं होगा। हम कहेंगे भोजन लो, कपड़े लो, मकान लो, लेकिन
काम मत मांगो! जो आदमी राजी हो जायेगा कि हम काम नहीं करेंगे, उसको ज्यादा तनख्वाह मिल सकेगी! पच्चीस साल बाद--बजाय उस आदमी के जो
कहेगा, हमको तो काम चाहिये ही, उसको
कम तनख्वाह देनी पड़ेगी, क्योंकि वह काम भी मांगता है और
तनख्वाह भी मांगता है! दोनों बातें नहीं दी जा सकतीं।
वही मुसीबत उस आदमी के सामने खड़ी हो गयी तो
वह फकीर के पास गया। उसने फकीर से पूछा कि मैं बहुत मुश्किल में पड़ गया हूं। एक
प्रेत को सुबह मैंने जगा दिया,
सांझ होते-होते सारे काम चुक गये हैं। अब काम मेरे पास नहीं है
और वह मेरी जान लिए लेता है?
उस फकीर ने कहा, तुम एक काम करो। वह
सामने एक बर्तन पड़ा है, उसे ले जाओ। उसने कहा, मैं क्या करूंगा? फकीर ने कहा, उस प्रेत को कहना, उसको भरते रहो। उस बर्तन
में पेंदी नहीं थी! वह बाटमलेस था।
उसने कहा, इस बर्तन में तो पेंदी नहीं है, वह बेचारा भरेगा कैसे?
तो उस फकीर ने कहा, अगर वह भर लेगा तो फिर
मुसीबत शुरू हो जायेगी। तुम उसे भरने दो, यह बर्तन कभी
भरेगा नहीं। वह भरता रहेगा और भरता रहेगा और उसे काम मिलता रहेगा। वह उस बर्तन को
ले आया और उस प्रेत को दे दिया। तब से प्रेत ने दुबारा लौटकर उससे नहीं कहा कि काम
चाहिए, क्योंकि वह काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है!
जब आदमी के पास कोई काम नहीं रह जाता तो वह
इस तरह के काम चुन लेता है, जो कभी पूरे नहीं होते! वह इस तरह के बर्तन भरने लगता है, जो कभी पूरे नहीं होते!
इसलिए जैसे ही किसी आदमी के जीवन की सामान्य
जरूरतें पूरी हो जायें, उसके सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि वह कोई ऐसा बर्तन ले आये, जो कभी पूरा न हो। वह पदों की दौड़ में लग जाये, जो कभी पूरी न हो। वह किसी भी बड़े पद पर पहुंच जाये, आगे और पद होगा। उस बर्तन के नीचे पेंदी नहीं है। वह धन की दौड़ में लग
जायेगा, वह कितना ही धन कमा ले, तब
भी गरीब रहेगा, क्योंकि आगे और धन कमाने को सदा शेष है।
ओशो
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