इसके पहले कि महावीर के संबंध में कुछ कहूं, बहुत उचित है कि आपके संबंध
में कहूं। क्योंकि आप महावीर को समझना चाहते हैं, आप महावीर
को प्रेम करना चाहते हैं, आप महावीर के प्रति निष्ठावान होना
चाहते हैं। और आप महावीर के विचार और उनकी साधना से लाभान्वित होना चाहते हैं,
तो आपके संबंध में कुछ बातें बहुत जरूरी हैं।
पहली बात तो यह जरूरी है कि आप इस बात को समझ लें कि अगर आप जैन
घर में पैदा हुए हैं इसलिए महावीर को श्रद्धा देते हों तो वैसी श्रद्धा का मूल्य
दो कौड़ी से ज्यादा नहीं है। अगर आप जैन घर में पैदा होने से महावीर को आदर देते
हों तो क्षमा मुझे करें, आप कोई भी आदर नहीं देते हैं। आपके किसी घर में पैदा होने से महावीर को
दिए गए आदर का क्या संबंध हो सकता है? आपका किसी समाज में
पैदा हो जाना, आपका किसी परिवार में पैदा हो जाना, महावीर से आपको संबंधित नहीं करता।
इसे स्मरण रखें,
कोई व्यक्ति ईसाई घर में पैदा हो जाने से क्राइस्ट से संबंधित नहीं
होता। और कोई व्यक्ति जैन घर में पैदा हो जाने से महावीर से संबंधित नहीं होता।
कोई व्यक्ति हिंदू घर में पैदा हो जाने से कृष्ण से संबंधित नहीं होता। यह बात
इतनी सस्ती नहीं है। धर्म से संबंधित होना जीवन का सबसे मंहगा सौदा है। और जिन
लोगों ने समझा हो कि खून से और जन्म से तय हो जाता है, उन
पागलों के लिए क्या कहा जाए?
धार्मिक होना दुरूह साधना की बात है। और धार्मिक होने के लिए
किसी जन्म से कोई संबंध नहीं है,
बल्कि अपने भीतर जो भी बुरा है और जो भी अंधकार है, उसकी मृत्यु से धर्म का संबंध है। आपके जन्म से नहीं, आपके मर जाने से आप धर्म से संबंधित होंगे। आपके किसी घर में पैदा हो जाने
से नहीं, आपकी संपूर्ण अहंता को लेकर अगर आप मर सकेंगे,
तो आप धर्म से संबंधित हो जाएंगे।
और मैं आपको यह भी कहूं,
जैसा मैंने कहा कि ईसाई घर में पैदा होने से कोई क्राइस्ट से
संबंधित नहीं होता और जैन घर में पैदा होने से महावीर से संबंधित नहीं होता,
वैसे ही मैं आपको यह भी कहूं कि जो महावीर से संबंधित हो जाता है वह
क्राइस्ट से भी संबंधित हो जाता है और कृष्ण से भी संबंधित हो जाता है। इन जीते और
जागते प्रकाश स्रोत में से किसी एक से भी जो संबंधित हो जाता है, वह अनंत प्रकाशों से संबंधित हो जाता है।
गांधी जी को किसी ने अमरीका से एक पत्र लिखा था और उनको पूछा था
कि आप गीता को बहुत आदर देते हैं,
क्या मुझे आप आज्ञा देंगे कि मैं भी हिंदू हो जाऊं? गांधी जी ने उसे उत्तर दिया कि मैं किसी को यह नहीं कह सकता कि वह हिंदू
हो जाए, या मुसलमान हो जाए। मैं तो यही कहूंगा, वह जिस धर्म में है, उस धर्म की संपूर्ण गहराई में
उतर जाए। अगर वह क्रिश्चियन है तो वह अच्छा क्रिश्चियन हो जाए, अगर वह मुसलमान है तो अच्छा मुसलमान हो जाए। अच्छे मुसलमान में, अच्छे ईसाई में, और अच्छे जैन में कोई फासला नहीं रह
जाता है। सब फासले बुरे लोगों में हैं। सारे फासले बुराई के बीच हैं, भलाई के बीच कोई फासला नहीं है।
और इसीलिए जो धर्म अलग-अलग खड़े दिखाई पड़ते हों, जो मंदिर और चर्च अलग खड़े
दिखाई पड़ते हों, जानना कि वे बुरे लोगों ने खड़े किए होंगे। वे
भले लोगों के खड़े किए हुए नहीं हो सकते। और जो संप्रदायों और संगठनों में विभक्त
दिखाई पड़ते हों और जो आर्गनाइजेशंस में बंधे हुए दिखाई पड़ते हों, समझना कि उसमें बुरे लोग नेता होंगे। वह भले लोगों का काम नहीं हो सकता।
साधु जगत में किसी को लड़ाते नहीं हैं और असाधु सिवाय लड़ाने के कुछ भी नहीं करते
हैं।
यदि महावीर से आप संबंधित हो गए तो आप क्राइस्ट से और कृष्ण से
भी संबंधित हो जाएंगे। क्योंकि ये नाम अलग हैं, इनके भीतर जो सचाई है, वह
एक है। यहां बहुत, हजार दीए जलते हों, वे
हजार दीए अलग-अलग हैं, लेकिन उनमें जो ज्योति जलती है वह एक
है। और लाख फूल यहां खिले हों, वे फूल सब अलग-अलग हैं,
लेकिन जो सौंदर्य उनमें प्रकट होता है वह एक है। सारी जमीन पर जो भी
श्रेष्ठ पुरुष हुए हैं, और जिनके जीवन में परमात्मा का
प्रकाश उतरा है, और जिनके जीवन में सौंदर्य का अनुभव हुआ है,
और जिन्होंने सत्य को उपलब्ध किया है, उनकी
देहें अलग हों, उनकी आत्माएं अलग नहीं हैं।
इसलिए महावीर के इस जन्म-दिवस पर पहली बात आपसे यह कहूं कि आप
सिर्फ इस कारण महावीर के प्रति अपने को श्रद्धा से भरे हुए मत समझ लेना कि आपका
जन्म जैन घर में हुआ है।
धर्म बपौती नहीं है और किसी को वंशक्रम से नहीं मिलता।
धर्म प्रत्येक व्यक्ति की निजी उपलब्धि है और अपनी साधना से
मिलता है।
महावीर या महाविनाश
ओशो
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