Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Friday, February 7, 2020

प्रश्न जहां गिर जाता है, वहां ज्ञान है।


उत्तर जहां मिल जाता है, वहां ज्ञान नहीं है। प्रश्न जहां गिर जाता है, वहां ज्ञान है। यह थोड़ा समझने जैसी बात है। हम सोचते हैं, कि ज्ञान है उत्तर का मिलना। और मैं आपसे कहता हूं, ज्ञान है प्रश्न का भी गिर जाना! 


एक युवा खोजी बुद्ध के पास गया। और उसने जीवन भर में बहुत से प्रश्न खोजे थे, जिनके उत्तर नहीं थे। उसने जाकर वे प्रश्न बुद्ध के सामने रखे। और कहा, चाहता हूं इनके उत्तर।


बुद्ध ने कहाः पहले भी और किसी से ये प्रश्न पूछे हैं?


उस युवक ने कहाः बहुतों से पूछे हैं। तीस वर्ष इसी में श्रम किया है, अब तक आधी जिंदगी इसी में गंवाई है।


तो बुद्ध ने कहाः इतनों से पूछे उत्तर, मिला कोई उत्तर या नहीं? जिनसे पूछा था, उन्होंने उत्तर दिए या नहीं?


उस खोजी ने कहाः सब ने उत्तर दिए। बुद्ध ने कहाः उन्होंने उत्तर दिए, तुझे उत्तर मिला या नहीं! उस व्यक्ति ने कहाः मुझे उत्तर मिल जाता तो मैं फिर आपसे पूछने नहीं आता। मुझे उत्तर नहीं मिला।


बुद्ध ने कहाः इतने लोगों से पूछने के बाद, तुझे उत्तर नहीं मिला, फिर भी तू पूछे चला जा रहा है! तुझे यह खयाल नहीं आया कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि पूछते-पूछते मिलेगा ही नहीं! मैं भी तुझे उत्तर दूंगा, उससे भी तुझे उत्तर नहीं मिलेगा, क्योंकि आज तक उत्तर देने से उत्तर मिला ही नहीं!



फिर वह आदमी पूछने लगा, फिर मैं क्या करूं?

तो बुद्ध ने कहाः तू एक वर्ष यहां रुक जा और इतना शांत हो, इतना शांत हो कि प्रश्न भी गिर जाएं। और फिर वर्ष भर बाद, जब तेरा चित्त पूर्ण शांत हो, अगर तूने पूछा तो मैं उत्तर दूंगा, और तुझे उत्तर मिल जाएगा।


एक भिक्षु वृक्ष के नीचे बैठे सुनता था, जोर से खिलखिला कर हंसने लगा! उस नये आए आगंतुक ने पूछा, आप हंसते क्यों हैं? उस भिक्षु ने कहा, धोखे में मत पड़ जाना। मैं भी कुछ वर्ष पहले बुद्ध के पास इसी तरह पूछने आया था। उन्होंने मुझसे कहा, एक वर्ष रुक जाओ और चुप हो जाओ। और फिर पूछना फिर मैं उत्तर दूंगा। यह बड़े धोखे की बात है। तू इस बात में पड़ना मत, क्योंकि मैं जब चुप हो गया वर्ष भर बाद और यह मुझसे पूछने लगे, पूछना है? तो मेरे पास, पूछने को ही कुछ नहीं था! मैंने पूछा नहीं, इन्होंने उत्तर नहीं दिए! मैं तुझसे कहता हूं, अगर पूछना हो तो अभी पूछ लेना, क्योंकि वर्ष भर बाद तेरे पास पूछने को ही नहीं होगा! और यह मेरे साथ ही नहीं हुआ है, यह सैकड़ों लोगों के साथ मैं रोज होते हुए देखता हूं। वे आते हैं, पूछते हुए। बुद्ध कहते हैं, पहले चुप हो जाओ, फिर पूछना, फिर मैं उत्तर दूंगा। वे चुप ही हो जाते हैं, वे फिर पूछते ही नहीं! और बुद्ध के उत्तर का पता ही नहीं चलता है कि उत्तर क्या है!


बुद्ध ने कहाः मैं अपनी बात पर कायम रहूंगा। अगर वर्ष भर बाद तूने पूछा तो मैं उत्तर दूंगा। अब तू ही पूछने से इंकार कर दे तो मैं क्या कर सकता हूं!


वह आदमी रुक गया। उस आदमी का नाम मौलुक्यपुत्त था। वर्ष भर बाद, ठीक वर्ष बीतने पर, बुद्ध ने उससे कहाः मौलुक्य, खड़े हो जाओ, और पूछो।


वह मौलुक्यपुत्त हंसने लगा और उसने कहाः कि नहीं पूछना है। नहीं पूछना है!


बुद्ध ने कहाः लेकिन क्यों नहीं पूछना है?


उसने कहाः पूछने को कुछ बचा ही नहीं। मन इतना शांत हो गया है कि प्रश्न ही नहीं है। और अब मैं उत्तर की झंझट में पड़ने वाला नहीं हूं। जब प्रश्न ही नहीं है--तो उत्तर की झंझट कौन लेता है!
मनुष्य के सारे प्रश्न सन्निपात में पूछे गए प्रश्न हैं और सारी फिलासफी सन्निपात में लिखी गई। सारे शास्त्र और सारा दर्शन और सारी हजार तरह की सिस्टमस, सब सन्निपात में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर हैं।


जाननावहां है, जहां कि सन्निपात मिट जाता है, पूछने का ज्वर, पूछने का ज्वर ही चला जाता है।
मैं कोई उत्तर नहीं दे रहा हूं। और न आपसे यह कह रहा हूं कि आप पूछें कि मैं कौन हूं।कि आपको उत्तर मिल जाएगा, नहीं, इस तीव्र जिज्ञासा की आग में पूछते-पूछते-पूछते सब प्रश्न, सब उत्तर, सब गिर जाएंगे। अंत में रह जाएगा वही, जो है। और वही उत्तर है। लेकिन वह उत्तर आता नहीं है। आप ही बच रहते हैं, आप ही उत्तर हो जाते हैं।

संभावना की आहट 

ओशो

No comments:

Post a Comment

Popular Posts