तिब्बत में लामा जो है, पिछला लामा जो मरता है, वह बताकर जाता है
कि अगला मैं किस घर में जन्म लुंगा। और तुम मुझे कैसे पहचान सकोगे। उसके
सिंबल (प्रतीक) दे जाता है। फिर उसकी खोज होती है। पूरे मुल्क में कि वह
बच्चा अब कहां है। वह राज़ सिवाय उस आदमी के कोई बता नहीं सकता,जो बता गया
था। तो यह जो लामा है। ऐसे ही खोजा गया। पिछला लामा कहकर गया था। इस
बच्चे की खोज बहुत दिन करनी पड़ी। लेकिन आखिर वह बच्चा मिल गया। क्योंकि
एक खास सूत्र था। जो कि हर गांव में जाकर चिल्लाया जायेगा। और जो बच्चा
उसका अर्थ बता दे, वह समझ लिया जायेगा। कि वह पुराने लामा की आत्मा उसमें
प्रवेश कर गयी; क्योंकि उसका अर्थ तो और किसी को पता ही नहीं था। वह ता
बहुत सीक्रेट (गुप्त) मामला है।
तो चौथे शरीर के आदमी की पूरी क्यूरियोसिटि (जिज्ञासा) अगल थी।
और अनंत है यह जगत। और अनंत है उसके राज, और अनंत है इसके रहस्य। अब ये जो
लामा है इन्होंने पाँच में से चार प्रश्न के उत्तर ठीक दीये है। अब चार
के उत्तर कोई इत्तफाक थोड़ ही हो सकता है। पांचवें का उत्तर वे सही न दे
सके। पर पाँच उत्तर सही देने वाला पूरे तिब्बत में कहीं नहीं मिला। अब तो
वहां सब चीन, और यूरोप के लोगों ने जा कर खत्म कर दिया। वरना तो तिब्बत
का आदमी तिब्बत से बहार जन्म ले ही नहीं सकता था। हम ऐसा नहीं कर सकते।
क्योंकि चेतना की गति तो प्रकाश की गति से भी तेज है। वह तो पल में कहां
से कहा चली जाती है।
अभी जितनी साइंस को हमने जन्म दिया है। भविष्य में यही साइंस
रहेगी, यह मत सोची ये, और नयी हजार साइंस पैदा हो जायेगी। क्योंकि और हजार
आयाम है जानने के। और जब वह नहीं साइंसेस पैदा होंगी। तब वे कहेगी कि
पुराने लोग वैज्ञानिक न रहे, वह यह क्यों नहीं बता पाये। नहीं हम कहेंगे;
पुराने लोग भी वैज्ञानिक थे। उनकी जिज्ञासा ओर थी। जिज्ञासा का इतना फर्क
है कि जिसका कोई हिसाब नहीं।
जिन खोज तिन पाईया
ओशो
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