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Friday, May 27, 2016

कामुकता - एक बिन तराशा हीरा

मैंने सुना है:

बरकोवित्व और माइकलसन जो केवल व्यापारिक साझीदार ही नहीं, बल्कि जीवन पर्यंत के लिए एक दूसरे के मित्र भी थे, उन दोनों ने आपस में करार किया उनमें से जो भी पहले मर जाएगा, वह वापस लौटकर दूसरे को यह बतायेगा कि स्वर्ग जैसा अनुभव होता क्या है।

छ: महीने बाद बरकोवित्व की मृत्यु हुई। वह संत जैसा बहुत नैतिक व्यक्ति था, एक कट्टर धार्मिक व्यक्ति, जिसने कभी भी कोई गलत कार्य कभी किया ही नहीं था, जो हमेशा सेक्स और वासना से भयभीत रहता था। माइकलसन ने अपने से अलग हुए अपने प्यारे पवित्र मित्र की ओर से कुछ ऐसे संकेत पाने की प्रतीक्षा की, जिससे वह अपने पृथ्वी पर लौटने को प्रकट करे। माइकलसन ने बरकोवित्व की ओर से संदेश पाने की आतुरता और बैचेनी से प्रतीक्षा करते हुए वह समय गुजारा। तब अपनी मृत्यु के एक वर्ष बाद बरकोवित्व ने माइकलसन को अपना संदेश दिया। रात काफी गुजर चुकी थी और माइकलसन अपने बिस्तरे पर लेटा हुआ था तभी बरकोवित्स की आवाज गूंजी : ” माइकलसन! माइकलसन!”

” क्या यह तुम बोल रहे हो बरकोवित्व?”

” हां! ”

” तुम कैसे हो? कहां से बोल रहे हो?”

” हम नाश्ता करते हैं, उसके बाद हम प्रेम करते हैं, फिर हम लंच लेते हैं उसके बाद हम फिर प्रेम करते हैं और तब डिनर लेने के बाद भी हम प्रेम करते हैं।’’

” क्या यह वही है स्वर्ग जैसा?” माइकलसन ने पूछा।

” स्वर्ग के बारे में कौन बता रहा है यह सब कुछ?” बरकोविल्ल ने कहा:  ” मैं तो बिस्कोनसिन में हूं और मैं एक सांड हूं।’’

याद रखें, यह सब कुछ उन लोगों के साथ घटता है, जो सेक्स का दमन करते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ और घट ही नहीं सकता क्योंकि पूरी दमित ऊर्जा एक बोझ बन जाती है, जो तुम्हें नीचे की ओर खींचती है। तुम अपने अस्तित्व के निम्न धरातल की ओर गतिशील होते हो। यदि प्रेम का जन्म वासना से हुआ है, तो तुम अपने अस्तित्व के उच्चतम तल की ओर उठना शुरू हो जाते हो।

इसलिए स्मरण रहे, तुम क्या बनना चाहते हो एक बुद्ध अथवा एक सांड यह सब कछ तुम्हीं पर निर्भर है। यदि तुम एक बुद्ध बनना चाहते हो, तो सेक्स से कभी भयभीत नहीं होना है। उसमें उतरो, उसे भली भांति जानो, उसके बारे में अधिक से अधिक सजग बनो। सावधान रहो, क्योंकि यह अत्यधिक मूल्यवान ऊर्जा है। इसे एक ध्यान बनाओ, और इसे रूपांतरित करो, धीमे  धीमे यही प्रेम बन जाती है।

 यह कच्चे माल की तरह है, खदान से निकले हीरे की तरह है, तुम्हें इसे काटना है, इस पर पालिश करनी है। तब यह अत्यधिक मूल्यवान बन जाता है। यदि कोई भी व्यक्ति तुम्हें बिना पालिश किया हुआ बिना तराशा, खदान से निकला हीरा देता है तो तुम उसे पहचान भी नहीं सकते कि वह एक हीरा हैं। यहां तक कि कोहिनूर भी खदान से निकलने पर कच्चे पदार्थ के रूप में बदशक्ल था। वासना ही वह कोहिनूर है, जिसे तराशकर उस पर पालिश की जानी है, यह बात भली भांति समझने जैसी है।

 
प्रेमयोग 

ओशो 

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