छोडो
अतीत को, जो
बीता, बीता!
अनबीते को
तलाशो। जो हुआ,
हुआ। अनहुए
का तलाशो। और
अनहुआ बड़ा है।
हुआ तो बहुत
क्षुद्र है।
तुम जो रहे हो
वह तो ना—कुछ
है, तुम जो
हो सकते हो वह
सब कुछ है।
तुम्हारा
भविष्य विराट
है। तुम अतीत
के बोझ से
अपने को दबा
बत लो। तुम
छोटी—छोटी
बातों में मत
पड़ जाओ।
लोग
छोटे—छोटे
अपराधों से दब
गये हैं।
पंडितों ने, पुरोहितों
ने, संतों
ने तुम्हें
इतने अपराधों
से भर दिया है कि
तुम यह मान ही
नहीं सकते कि
मेरा और प्रभु
से मिलन हो
सकता है।
तुमने यह
स्वीकार ही कर
लिया है कि
तुम अंधेरे के
कीड़े हो और
अंधेरे में ही
जीओगे, प्रकाश
से तुम्हारा
मिलन नहीं हो
सकता। इसीलिए
प्रकाश से
मिलन नहीं हो
रहा है। यह
सबसे बड़ी
दुर्घटना है
जो मनुष्य के
जीवन में घटी
है।
अथातो भक्ति जिज्ञासा
ओशो
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