Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Thursday, April 14, 2016

जो नहीं कहा जा सकता, उसे कहना ही नहीं चाहिए

विट्गिंस्टीन ने अपने सारे जीवन के बाद एक छोटा-सा वाक्य लिखा है। और वह वाक्य बहुत अदभुत है। उसने लिखा है, “दैट ह्विच कैन नाट बी सेड, मस्ट नाट बी सेड’। जो नहीं कहा जा सकता, उसे कहना ही नहीं चाहिए। लेकिन, इतना तो कहना ही पड़ता है। अब विट्गिंस्टीन मर गया, नहीं तो उससे मैं कहता, इतना तो कहना ही पड़ता है कि जो नहीं कहा जा सकता उसे नहीं नहीं कहना चाहिए। और इससे क्या फर्क पड़ता है कि कितना कहते हैं! कुछ तो कहना ही पड़ता है। हां, उसने पहली किताब में कहा है, पहली किताब में “टैक्टेसस’ में उसने यह बात कही है कि जो कहा जाएगा वह भाषा में ही कहा जाएगा। यह थोड़ी दूर तक ठीक है। क्योंकि अगर “जेस्चर’ को भी कहना समझें, तो वह भी एक भाषा है। एक गूंगा हाथ उठाकर कह देता है पानी पीना है। वह भी भाषा है, गूंगे की भाषा है।

 इसलिए हम तो कहते ही रहे हैं कि परमात्मा जो है वह गूंगे का गुड़ है। लेकिन उसका मतलब यही है कि गूंगे की भाषा में कहना पड़ेगा। लेकिन कहेंगे जो भी हम किसी भी ढंग से, नाच कर कहें मौन रहकर कहें तो भी हम कह रहे हैं और इसलिए जो है, वह हमारे सब कहने के पार छूट जाएगा। इसलिए लाओत्से ने विट्गिंस्टीन से बहुत गहरी बात कही है। 

लाओत्से ने कहा, सत्य कहा कि असत्य हो जाता है, इस इतना ही कहा जा सकता है। इसलिए जो जानते हैं वे चुप रह जाते हैं।

कृष्ण स्मृति 

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts