इसी सुबह, मनन करो कि तुम क्या जानते हो और तुम क्या नहीं जानते, और सरलता
से संतुष्ट मत हो जाओ। तुम क्या जानते हो और क्या नहीं जानते, इसमें जितना
हो सके उतनी गहराई तक उतर जाओ। यदि तुम यह निर्णय कर सको कि यह तुम जानते
हो और यह नहीं जानते हो, तो तुमने एक बड़ा कदम उठा लिया है। और यह कदम, यह
सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है जो एक व्यक्ति कभी भी उठा सकता है, क्योंकि तभी
तीर्थयात्रा, सत्यता की ओर की तीर्थयात्रा का आरंभ होता है।
यदि तुम यह
विश्वास करते चले जाओ कि तुम अनेक बातों को जानते हो और तुम उन्हें नहीं
जानते, तब तुम स्वयं को धोखा दे रहे हो, तुम अपनी जानकारी से सणोहित रहोगे।
तुम अपना सारा जीवन नशे में बरबाद कर दोगे। सामान्यत: लोग बस ऐसे जीते हैं
जैसे कि वे गहरी निद्रा में हों, अपनी निद्रा में चल रहे हों, अपनी निद्रा
में सारे कार्य कर रहे हों, सोमनैमबुलिस्ट, निद्राचारी हों।
पतंजलि योगसूत्र
ओशो
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