जो तुमसे कहे कि मेरे बिना परमात्मा नहीं मिलेगा, वह महान से महान असत्य
बोल रहा है। क्योंकि परमात्मा उतना ही तुम्हारा है, जितना उसका। ही, यह हो
सकता है कि तुम जरा लड़खड़ाते हो। वह कम लड़खड़ाता है। या उसकी लड़खड़ाहट मिट
गयी है और वह तुम्हें चलने का ढंग, शैली सिखा सकता है। हां, यह हो सकता है
कि उसे तैरना आ गया और तुम उसे देखकर तैरना सीख ले सकते हो। लेकिन उसके
कंधों का सहारा मत लेना, अन्यथा दूसरा किनारा कभी न आएगा। उसके कंधों पर
निर्भर मत हो जाना, नहीं तो वही तुम्हारी बर्बादी का कारण होगा।
इसी तरह तो यह देश बरबाद हुआ। यहां मिथ्या गुरुओं ने लोगों को गुलाम बना
लिया। इस मुल्क को गुलामी की आदत पड़ गयी। इस मुल्क को निर्भर रहने की आदत
पड़ गयी। यह जो हजार साल इस देश में गुलामी आयी, इसके पीछे और कोई कारण नहीं
है। इसके पीछे न तो मुसलमान हैं, न मुगल हैं, न तुर्क हैं, न हूण हैं, न
अंग्रेज हैं। इसके पीछे तुम्हारे मिथ्या गुरुओं का जाल है।
मिथ्या गुरुओं ने तुम्हें सदियों से यह सिखाया है निर्भर होना। उन्होंने
इतना निर्भर होना सिखा दिया कि जब कोई राजनैतिक रूप से भी तुम्हारी छाती
पर सवार हो गया, तुम उसी पर निर्भर हो गए। तुम जी हुजूर उसी को कहने लगे।
तुम उसी के सामने सिर झुकाकर खड़े हो गए। तुम्हें आजादी का रस ही नहीं लगा;
स्वाद ही नहीं लगा।
अगर कोई मुझसे पूछे, तो तुम्हारी गुलामी की कहानी के पीछे तुम्हारे
गुरुओं का हाथ है। उन्होंने तुम्हें मुक्ति नहीं सिखायी, स्वतंत्रता नहीं
सिखायी।
एस धम्मो सनंतनो
ओशो
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