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Saturday, April 9, 2016

पकड़ो मत आदतों को! उपयोग करो

नदी में बाढ़ आई हुई थी। वर्षा के दिन। पहली पहली बाढ़। मुल्ला नसरुद्दीन और कुछ लोग नदी के किनारे खड़े बाढ़ को बढ़ता देख रहे थे, तभी एक आदमी चिल्लाया. अरे देखते हो, कंबल बहा जा रहा है!
मुल्ला को तो लालच आ गया। आव देखी न ताव, कूद पड़ा। ज्यादा दूर भी नहीं था, एक पांच—सात हाथ के ही फासले पर था। कंबल को पकड़ लिया। फिर चिल्लाया, बचाओ! तो लोगों ने किनारे से कहा. इसमें बचाना क्या है? अगर कंबल नहीं खींच सकते हो तो छोड़ दो। उसने कहा अब मुश्किल है मामला। यह भालू है, कंबल नहीं है। अब इसने भी मुझे पकड़ लिया।
पहले तुम पकड़ते हो। मगर हमेशा पहले तुम पकड़ते हो, खयाल रखना। फिर कभी कभी भालू मिल जाते हैं। दिख रही होगी पीठ कंबल जैसी सुंदर। जिंदा था भालू वह बहा जा रहा था। अब मुश्किल पड़ी। अब चिल्ला रहे हैं कि बचाओ।
तुम आदतों को पहले पकड़ते हो, फिर धीरे धीरे उनका अभ्यास तुम्हीं करते हो। और बहुत अभ्यास के बाद वे तुम्हें पकड़ लेती हैं। फिर तुम पूछते हो, कैसे बचें?
पकड़ो मत आदतों को! उपयोग करो। मस्तिष्क का उपयोग करो। बुद्धि का उपयोग करो। तर्क का उपयोग करो। गणित का उपयोग करो। लेकिन बस उपयोग कर दिया और सरका कर रख लिया। चौबीस घंटे उनसे घिरे रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। फिर घर में ध्यान में डूबो, प्रेम में डूबो, नाचो, गाओ, उत्सव मनाओ। लेकिन इस उत्सव और शांति और आनंद और प्रेम में भी पकड़ जाने की जरूरत नहीं है, कि फिर दफ्तर पहुंच गए नाचते हुए, तो फिर दफ्तर के लोग पुलिस में खबर करेंगे! क्योंकि रोओ अगर दफ्तर में तो क्षमा भी कर दें वे, अगर हंसों तो क्षमा नहीं कर सकते। रोने वाले लोग हंसने वाले लोगों को कैसे क्षमा कर सकते हैं! इतने दुख से भरे लोग आनंदित व्यक्ति को क्षमा नहीं कर सकते।
तो समझ का थोड़ा उपयोग करो, इसी को विवेक कहते हैं। घर में अपनी मौज से जीओ; दफ्तर दफ्तर है, उसकी अपनी दुनिया है। वहां उसी दुनिया में जीओ।
जैसे रास्ते पर बाएं चलने का नियम है कि बाएं चलो। अब यह कोई शाश्वत नियम नहीं है, कोई ऐसा नहीं है कि तुम दाएं चलोगे तो नरक भेज दिए जाओगे। मगर बस के नीचे आ जाओगे। कोई ऐसा नहीं है कि दाएं चलने में पाप है। न मनुस्मृति में लिखा है और न किसी और शास्त्र में कि दाएं चलना पाप है। और अमरीका में तो लोग दाएं चलते ही हैं, जैसे भारत में बाएं चलते हैं। यह इंग्लैंड ने सिखा दिया भारत को बाएं चलना। इंग्लैंड में बाएं चलने का रिवाज है, अमरीका में दाएं चलने का रिवाज है!
मन ही पूजा मन ही धुप 
ओशो 

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