इस दुनिया में सारे लोग कहते हैं, अच्छे हो जाओ। लेकिन वह आपको कहते ही
इसलिए हैं कि आप अच्छे हो नहीं पाते। और अच्छे हो जाओ, यह कह कर वे आपकी
निंदा कर देते है और आपको दबा देते हैं। एक दूसरे को डॉमिनेट करने का यह
उपाय है। अगर आप सच में अच्छे हो जाओ, तो जो जो आपको अच्छा बनाना चाहते थे, वे सबसे पहले आपके प्रति असंतुष्ट हो जाएंगे। क्योंकि उनकी मालकियत खो
जाएगी और उनके हाथ के नीचे से दबा हुआ आदमी मुक्त हो जाएगा।
तो जितने लोग कहते हैं, अच्छे हो जाओ, यह पावर पालिटिक्स है, इसके भीतर
राजनीति है। लेकिन कोई किसी को अच्छा देखना नहीं चाहता। क्योंकि अच्छा
देखने से ही खुद नीचा हो जाता है, दूसरा ऊपर हो जाता है। जिंदगी का जाल है।
लेकिन एक बात खयाल रखनी जरूरी है तुम जो भी हो, जहां भी हो, वहीं से
रास्ता परमात्मा तक आता है। ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां से उसका रास्ता न
जाता हो। इसलिए हर जगह का उपयोग कर लेना और हर अनुभव को उसकी दिशा में मोड़
देना।
बुरे से बुरा अनुभव भी उसकी दिशा में मुड़ जाता है। और पाप से पाप भरा
हुआ अनुभव भी, उसकी तरफ मुड़ते ही पुण्य हो जाता है। लेकिन यह सारा का सारा
आसान है करना, अगर एक बात खयाल में रहे कि इस जगत में हम अलग नहीं हैं, एक
ही चैतन्य के हिस्से हैं, एक ही बड़े सागर की लहरें हैं।
साधना सूत्र
ओशो
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