मौत घबड़ाती है सभी को, इसलिए तो दुनिया में इतने लोग आत्मा की
अमरता कोमानते हैं। इससे तुम मत समझ लेना कि इतने धार्मिक लोग हैं दुनिया में।
इतने धार्मिक लोग होते दुनिया में तो यह पृथ्वी स्वर्ग हो गयी होती। और यह भी
तुमने गौर किया कि जितने कायर लोग होते हैं वे सभी आत्मा की अमरता में मानते हैं!
इस देश से कायर तुम देश खोज सकोगे कहीं?
हजारों साल तक गुलाम रहा यह देश और आत्मा की अमरता में मानता है।
आत्मा की
अमरता में मानने वाले लोंगो को कोई गुलाम बना सकता है? क्या मिटा लोगे जिसकी आत्मा अमर है उसका
तुम? शरीर छीन लो तो छीन लो, मगर वह अपनी स्वतंत्रता तो नहीं दे देगा।
लेकिन हजारों वर्ष तक यह मुल्क गुलाम बना रहा। और कोई भी छोटी-मोटी कौमें आईं और
इसको गुलाम बना लिया। तुर्क आए,
मुगल आए, हूण आए, अंग्रेज आए, पुर्तगाली आए-जो आया। जो नहीं आए, उनकी गलती। आते तो वे भी हमको गुलाम बनाते।
जिसने भी आने की मेहनत उठायी, हम उसी के
गुलाम बनने को तैयार थे। और आत्मा की अमरता को मानने वाले ये धार्मिक लोग, जो कहते हैं आत्मा मरती ही नहीं, कभी नहीं मरती! अरे यह देह ही नश्वर है, आत्मा तो अविनश्वर! यह देह तो मिट्टी है, आत्मा जो चैतन्य है! आत्मा तो
परमात्मस्वरूप है! देह तो आज है,
कल नहीं है: मिट्टी का घड़ा है,
टूट ही जाएगा। और भीतर जो आकाश है इसके,
वह तो कभी फूटने वाला नहीं ऐसे बड़े-बड़े ज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी-इनको गुलाम बनाया जा सका?
मैं इसमें कारण देखता हूं। यह कायरों की
कौम हो गई। यह कमजोरों की कौम हो गई। तुम्हारी आत्मा का भरोसा तुम्हारे आध्यात्मिक
अनुभव पर आधारित नहीं है, तुम्हारे भय
पर आधारित है। तुम डरे हुए लोग हो। तुम घबड़ाए हुए लोग हो। तुम भयभीत हो। तुम मानना
चाहते हो कि आत्मा अमर है--दो कारणों से। एक तो मौत तुम्हें खूब घबड़ा रही है। इतना
दुनिया में कोई मौत से नहीं घबड़ाया हुआ। लोग कहते हैं: जब आएगी तब देख लेंगे।
उनमें कम से कम तुमसे ज्यादा जान है। कहते हैं कि जब आएगी तब देख लेंगे। अभी तो
आयी नहीं। उनको तुम कहते हो-नास्तिक,
भौतिकवादी, पदार्थवादी।
तुमने न मालूम कौन कौन से निंदा के शब्द खोज रखे हैं! सच बात इतनी है कि तुम कायर
हो और वे कायर नहीं हैं। मगर अपनी कायरता को तुम बड़े अच्छे शब्दों में छिपाते हो।
उडियो पंख पसार
ओशो
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