काम-वासना है एक गहनतम संभावना,
उसका उपयोग करो। उसका सुख लेने में क्या बुराई है?” वास्तव में, सभी नैतिकताएं प्रसन्नता-विरोधी हैं। कोई व्यक्ति प्रसन्न
है तो तुम्हें लगता है कि जरूर कहीं कुछ गलत है। जब कोई उदास है तब सब ठीक है।
हम
एक स्नायु-रोग-ग्रस्त समाज में जीते है जहां हर व्यक्ति उदास है। जब तुम उदास हो
दुखी हो, तब सब प्रसन्न
है; क्योंकि अब सबको तुमसे
सहानुभूति प्रकट करने का अवसर मिलेगा। जब तुम प्रसन्न हो तो उनको समझ नहीं आएगा कि
वे क्या करें? जब कोई तुमसे
सहानुभूति प्रकट करता है तब उसका चेहरा देखना। चेहरे पर एक चमक होती है एक सूक्ष्म
चमक चेहरे पर आ जाती है। वह सहानुभूति दिखाते समय प्रसन्न है। अगर तुम खुश हो, तब कोई संभावना नहीं–तुम्हारी प्रसन्नता दूसरों को उदास कर
देती है। यह स्नायुरोग न्यूरोसिस है।
इसका आधार ही पागलपन है।
तंत्र कहता है ”तुम जो हो, प्रामाणिक रूप से वही हो जाओ। तुम्हारी प्रसन्नता बुरी नहीं
अच्छी है। वह पाप नहीं। केवल उदासी पाप है केवल दुखी होना पाप है। प्रसन्न होना
पुण्य है क्योंकि एक प्रसन्न और प्रफुल्लित व्यक्ति ही दूसरों के लिए दुख पैदा
नहीं करेगा। केवल प्रफुल्लित और प्रसन्न व्यक्ति ही दूसरों की प्रसन्नता के लिए
भूमि तैयार कर सकता है।”
दूसरी बात–जब मैं कहता हूं तंत्र न तो नैतिक है और न ही अनैतिक तो
मेरा मतलब है तंत्र बुनियादी रुप से विज्ञान है। वह तुममें वही देखता है जो तुम
हो। तंत्र तुम्हें वास्तविकता के माध्यम से रूपांतरित करना चाहता है।
तंत्र और नैतिकता में उतना ही अंतर है
जितना जादू और विज्ञान में है। जादू भी चीजों का रूप बदल देता है लेकिन बिना तथ्यो
को जाने केवल शब्दो के द्वारा ही रूपांतरित करता है। एक जादूगर कह सकता है कि अब
वर्षा बंद हो जाएगी। वास्तव में,
वह बंद नहीं हो सकती। या वह कहेगा अब वर्षा होने लगेगी। वह वर्षा करवा नहीं
सकता। वह केवल शब्दों का उपयोग कर सकता है।
कभी-कभी संयोग से हो सकता है कि ऐसा हो
जाए और तब वह समझने लगेगा कि उसके पास कोई विशेष शक्ति है। और यदि उसकी जादुई
भविष्यवाणी के अनुसार कोई बात घटित नहीं होती तो वह हमेशा बहाना बना सकता है ”कहां गलती हुई है?” उसकी भविष्यवाणी में इस बात की संभावना तो
छिपी ही रहती है। जादूगरी में बात ”यदि” से ही शुरू होती है। वह कह सकता है यदि
यहां सभी पुण्यात्मा विद्यमान हैं तब इस विशेष दिन वर्षा होगी। यदि वर्षा हो गई तब
तो ठीक है और यदि वर्षा न हुई तो सभी पुण्यात्मा नहीं हैं। इनके बीच जरूर कोई पापी
है।
तंत्र अध्यात्म और काम
ओशो
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