Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Showing posts with label ज्ञान. Show all posts
Showing posts with label ज्ञान. Show all posts

Monday, November 2, 2015

संतत्व का जन्म

एक आदमी हवाई जहाज का पायलट है। हवाई जहाज पर अपने एक मित्र को घुमाने ले गया। केलीफोर्निया की सुंदर घाटी के ऊपर वे उड़ रहे हैं। नीचे एक झील आती है। और वह पायलट अपने मित्र से कहता है, ‘बड़ी अजीब बात है। जब मैं छोटा बच्चा था, तो इस झील पर मैं मछलियां पकड़ता था। और जब मैं कांटा डालकर बैठा रहता, मछलियां पकड़ता, ऊपर हवाई जहाज उड़ते तो मेरा मन कहता था, कब वह सौभाग्य मिलेगा, जब मैं पायलट हो जाऊंगा! अब मैं पायलट हो गया। अब मैं इस झील पर से जब भी निकलता हूं, सोचता हूं कब रिटायर्ड हो जाऊंगा कि फिर मछलियां मारूं?’

मन ऐसा है! अब वह कहता है, बस एक ही सुख मालूम पड़ता है कि कब छुटकारा मिले इस सबसे, और बैठूं झील पर, मछलियां मारूं! कोई चिंता नहीं मछलियां मारने में। और पहले मैं मछलियां मारता ही था, लेकिन तब पायलट होना चाहता था।

तुम्हारा मन, जब तुम दुकान में हो तो मंदिर में जाएगा। जब तुम मंदिर में हो तब दुकान ले जाएगा। तुम्हारा मन तुम्हें सदा विपरीत में बुलाता रहेगा। जब तुम जागोगे और दोनों को छोड़ दोगे, तब संतत्व का जन्म है।

 बिन बाती बिन तेल

ओशो 

Monday, July 27, 2015

ज्ञान बहुत सस्ता है

मैं वही कहूंगा जो मैं जानता हूं; वही कहूंगा जो आप भी जान सकते हैं। लेकिन जानने से मेरा अर्थ है, जीना। जाना बिना जीए भी जा सकता है। तब ज्ञान होता है एक बोझ। उससे कोई डूब तो सकता है, उबरता नहीं। जानना जीवंत भी हो सकता है। तब जो हम जानते हैं, वह हमें करता है निर्भार, हलका, कि हम उड़ सकें आकाश में। जीवन ही जब जानना बन जाता है, तभी पंख लगते हैं, तभी जंजीरें टूटती हैं, और तभी द्वार खुलते हैं अनंत के।
लेकिन जानना कठिन है, ज्ञान इकट्ठा कर लेना बहुत आसान। और इसलिए मन आसान को चुन लेता है और कठिन से बचता है। लेकिन जो कठिन से बचता है वह धर्म से भी वंचित रह जाएगा। कठिन ही नहीं, जो असंभव से भी बचना चाहता है, वह कभी भी धर्म के पास नहीं पहुंच पाएगा। धर्म तो है ही उनके लिए, जो असंभव में उतरने की तैयारी रखते हैं। धर्म है जुआरियों के लिए, दुकानदारों के लिए नहीं। धर्म कोई सौदा नहीं है। धर्म कोई समझौता भी नहीं है। धर्म तो है दांव। जुआरी लगाता है धन को दांव पर, धार्मिक लगा देता है स्वयं को। वही परम धन है। और जो अपने को ही दांव पर लगाने को तैयार नहीं, वह जीवन के गुह्य रहस्यों को कभी भी जान नहीं पाएगा।
सस्ते नहीं मिलते हैं वे रहस्य, ज्ञान तो बहुत सस्ता मिल जाता है। ज्ञान तो मिल जाता है किताब में, शास्त्र में, शिक्षा में, शिक्षक के पास। ज्ञान तो मिल जाता है करीब—करीब मुफ्त, कुछ चुकाना नहीं पडता। धर्म में तो बहुत कुछ चुकाना पडता है। बहुत कुछ कहना ठीक नहीं, सभी कुछ दाव पर लगा दे कोई, तो ही उस जीवन के द्वार खुलते हैं। इस जीवन को जो दाव पर लगा दे उसके लिए ही उस जीवन के द्वार खुलते हैं। इस जीवन को दाव पर लगा देना ही उस जीवन के द्वार की कुंजी है।

लेकिन ज्ञान बहुत सस्ता है। इसलिए मन सस्ते रास्ते को चुन लेता है; सुगम को। सीख लेते हैं हम बातें, शब्द, सिद्धात, और सोचते हैं जान लिया। अज्ञान बेहतर है ऐसे शान से। अज्ञानी को कम से कम इतना तो पता है कि मुझे पता नहीं है। इतना सत्य तो कम से कम उसके पास है।जिन्हें हम ज्ञानी कहते हैं, उनसे ज्यादा असत्य आदमी खोजने मुश्किल हैं। उन्हें यह भी पता नहीं है कि उन्हें पता नहीं है। सुना हुआ, याद किया हुआ, कंठस्थ हो गया धोखा देता है। ऐसा लगता है, मैंने भी जान लिया।

मैं आपसे वही कहूंगा जो मैं जानता हूं। क्योंकि उसके कहने का ही कुछ मूल्य है। क्योंकि जिसे मैं जानता हूं, अगर आप तैयार हों, तो उसकी जीवंत चोट आपके हृदय के तारों को भी हिला सकती है। जिसे मैं ही नहीं जानता हूं जो मेरे कंठ तक ही हो, वह आपके कानों से ज्यादा गहरा नहीं जा सकता। जो मेरे हृदय तक हो, उसकी ही संभावना बनती है, अगर आप साथ दें तो वह आपके हृदय तक जा सकता है।

ओशो 

Popular Posts