एक महान सम्राट अपने घोड़े पर बैठ कर हर दिन सुबह शहर में घूमता था। यह
सुंदर अनुभव था कि कैसे शहर विकसित हो रहा है, कैसे उसकी राजधानी अधिक से
अधिक सुंदर हो रही है।
उसका सपना था कि उसे पृथ्वी की सबसे सुंदर जगह बनाया जाए। वह
हमेशा अपने घोड़े को रोकता और एक बूढ़े व्यक्ति को देखता, वह एक सौ बीस
साल का बूढ़ा रहा होगा जो बग़ीचे में काम करता रहता, बीज बोता, वृक्षों को
पानी देता ऐसे वृक्ष जिनको बड़ा होने में सैंकड़ो साल लगेंगे। ऐसे वृक्ष जो
चार हजार साल जीते है।
उसे बड़ी हैरानी होती: यह आदमी आधा कब्र में जा चुका है; किनके
लिए यह बीज बो रहा है? वह कभी भी इन पर आये फूल और फलों को नहीं देख
पायेगा। इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। कि वह अपनी मेहनत का फल देख
पायेगा।
एक दिन वह अपने आपको रोक नहीं पाया। वह घोड़े से उतरा और उस बूढ़े
व्यक्ति के पास जाकर उससे पूछने लगा: मैं हर दिन यहां से गुजरता हूं, और
एक प्रश्न मेरे दिमाग में रोज आता है, अब यह लगभग असंभव हो गया कि मैं
आपके कार्य को क्षण भर के लिए बाधा पहूंचाऊंगा। मैं जानना चाहता हूं कि आप
किनके लिए ये बीज बो रहे है, ये वृक्ष तब तैयार होंगे, युवा होंगे, जब आप
यहां नहीं होंगे।
बूढे व्यक्ति ने सम्राट की तरफ देखा और हंसा। फिर बोला; ‘’यदि
यही तर्क मेरे बापदादाओं का होता तो मैं फल और फूलों से भरे इस सुंदर
बग़ीचे से महरूम रह गया होता। हम पीढ़ी दर पीढ़ी माली है मेरे पिता और
बापदादाओं ने बीज बोए, मैं फल खा रहा हूं, मेरे बच्चों का क्या होगा?
मेरे बच्चों के बच्चों का क्या होगा। यदि उनका भी विचार आप जैसा ही होता
तो यहां कोई बग़ीचा नहीं होता। लोग दूर-दूर से इस बग़ीचे को देखने आते है
क्योंकि मेरे पास ऐसे वृक्ष है जो हजारों साल पुराने है। मैं बस वही कर
रहा हूं जो मैं कृतज्ञता से कर सकता हूं।
‘’और जहां तक बात बीज बोने की है……जब बसंत आता है, हर पत्ते को
उगते देख कर मुझे इतना आनंद आता है कि मैं भूल ही जाता हूं कि मैं कितना
बूढ़ा हूं। मैं उतना ही युवा हूं जितना कभी था। मैं युवा बना रहा क्योंकि
मैं सतत सृजनात्मक बना रहा हूं। मैं उतना ही युवा हूं जितना कभी था। शायद
इस लिए मैं इतना लंबा जीया, और मैं अब भी युवा हूं, ऐसा लगता है कि मृत्यु
मेरे प्रति करणावान है क्योंकि मैं अस्तित्व के साथ चल रहा हूं।
असतीत्व को मेरी कमी खुलेगी; अस्तित्व किसी दूसरे को मेरे स्थान पर नहीं
ला पाएगा। शायद इसीलिए मैं अब भी जिंदा हूं। लेकिन आप युवा है और आप ऐसे
प्रश्न पूछ रहे है जैसे कि कोई मर रहा हो। कारण यह है कि आप सृजनात्मक
है।‘’
जीवन को प्रेम का एकमात्र ढंग है कि और अधिक जीवन का सृजन का सृजन
करो, जीवन को और सुंदर बनाओ अधिक फलदार अधिक रसपूर्ण1 इसके पहले इस
पृथ्वी को मत छोड़ो जब तक कि तुम इसे थोड़ा अधिक सुंदर न बना दो, जैसा इसे
तुमने अपने जन्म के समय देखा था यही एकमात्र धर्म है जो मैं जानता हूं।
बाकी सारे धर्म नकली है।
मैं तुम्हें सृजनात्मकता का धर्म सिखाता हूं। और अधिक जीवन के
सृजन करने से तुम रूपांतरित होओगे क्योंकि जो जीवन का निर्माण कर सकता है
वह पहले ही परमात्मा का, भगवान का हिस्सा हो गया।
दि मसाया
ओशो
No comments:
Post a Comment