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Monday, January 13, 2020

अंतर्संबंध


इस जगत में छोटी से छोटी चीज का मूल्य है। इतना मूल्य है जिसका कोई हिसाब नहीं। क्योंकि अंतिम निर्णय में, वह जो अल्टीमेट कनक्लूजन होगा जिंदगी का, उसमें छोटी और बड़ी चीज में फर्क नहीं रह जाएगा। उसमें छोटी चीज ने अपने फर्ज अदा किए हैं। एक इतनी छोटी सी घटना का मूल्य होता है जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं।


नेपोलियन छह महीने का था और एक बिस्तर पर लेटा हुआ है। एक जंगली बिल्ली आ गई और उसकी छाती पर चढ़ गई। आप सोच सकते हैं कि एक जंगली बिल्ली का दुनिया के इतिहास के बनाने में कोई हाथ हो सकता है? या एक छोटे से बच्चे की छाती पर एक बिल्ली का चढ़ जाना हिस्टॉरिकल इम्पॉरटेंस ले सकता है, कोई ऐतिहासिक मूल्य हो सकता है इस बात का? कोई भी मूल्य नहीं है। नौकर ने आकर बिल्ली को भगा दिया।


लेकिन छह महीने के नेपोलियन के मन में बिल्ली का भय हमेशा के लिए समा गया। फिर वह नंगी तलवार से जूझते आदमी से नहीं डरता था, शेर के सामने नहीं डरता था, लेकिन बिल्ली के सामने उसके प्राण कंप जाते! जिस लड़ाई में नेपोलियन हारा, नेल्सन, उसका दुश्मन सत्तर बिल्लियां अपनी फौज के सामने बांध कर ले गया था। बिल्लियों को नेपोलियन ने देखा और उसके प्राण कंप गए! और उसने अपने साथी से कहा, आज जीत बहुत मुश्किल है, बिल्लियां देखते से ही मैं बस में नहीं रह जाता!


वह पहली बार हारा! इतिहासज्ञ कहते हैं कि नेपोलियन को नेल्सन ने हरा दिया। मनोवैज्ञानिक कहते हैं: बिल्लियों ने हरा दिया। और मैं मनोवैज्ञानिकों से सहमत हूं, इतिहासज्ञ कुछ भी नहीं जानते हैं।


इतनी छोटी सी, फिजूल की घटना, मीनिंगलेस, इतना बड़ा परिणाम ला सकती है क्या? और नेपोलियन के हारने से क्या फिर हुआ, इसके लिए तो बहुत...। अगर नेपोलियन नहीं हारता तो क्या होता? दुनिया बिलकुल दूसरी होती। अगर हिटलर नहीं हारता तो दुनिया दूसरी होती। नेपोलियन नहीं हारता, दुनिया दूसरी होती। नेपोलियन नहीं हारता अगर बिल्ली उसकी छाती पर न चढ़ती। एक बाहर बैठा हुआ नौकर बिल्ली को भगा सकता था, दुनिया का इतिहास दूसरा होता। कोई कभी सोचता नहीं कि एक नौकर के द्वारा एक बिल्ली का भगा दिया जाना इतना मूल्यवान हो सकता है।


जीवन के इस वृहत्तर संबंध में, यह जो इनर कॉरेस्पांडेंस ऑफ थिंग्स है, यह जो जीवन की सारी चीजों का अंतर्संबंध है, इसमें छोटी सी चीज का उतना ही मूल्य है जितना बड़ी से बड़ी चीज का। इसमें एक सूरज के और एक दीये के मूल्य में कोई फर्क नहीं है। कई बार दीया सूरज से ज्यादा मूल्यवान साबित हो सकता है और कई बार सूरज दीया से छोटा साबित हो सकता है। जिंदगी का गणित बहुत बेबूझ है। छोटे से काम के बड़े परिणाम हो सकते हैं। 

अनंत की पुकार 

ओशो




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