Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Sunday, November 15, 2015

यात्रा के वाहन

हर जीवन के आयाम में यात्रा के वाहन होते हैं। तुम नाव पर सवार हो कर समुद्र की यात्रा कर सकते हो, लेकिन नाव पर सवार हो कर तुम पृथ्वी की यात्रा न कर सकोगे। और तुम कितने ही कुशल नाविक हो, और तुमने कितने ही दूर के सागर पार किए हों, और तुम्हें कितना ही अनुभव हो सागरों का, अपनी नाव को उठा कर सड़क पर मत रख लेना। क्योंकि उसमें बैठ कर यात्रा नहीं हो सकती पृथ्वी पर। उसके कारण चल भी न सकोगे। उसके कारण, पैदल भी चल सकते थे, वह भी न हो सकेगा। वह नाव तुम्हारे गले से बंध गयी, और तुम्हारे अनुभव के कारण। क्योंकि तुमने बड़े-बड़े सागर पार किए हैं, क्या यह छोटी सी पृथ्वी का टुकड़ा? इतने खतरनाक सागर पार किए! तो क्या इस छोटी सी जमीन को तुम पार न कर सकोगे? लेकिन नाव यहां वाहन नहीं बन सकती।

यही हो रहा है। अहंकार की नाव संसार में तो वाहन है। वहां तो उसके बिना कोई चल ही नहीं सकता। वहां तो जो उसके बिना चलेगा, गिरेगा। वहां तो अहंकार की ही प्रतिस्पर्धा है। वहां तो सारा संघर्ष मैं का है। और जो जितने बड़े अहंकार से चलेगा उतना सफल होगा वहां। भला वह सफलता अंत में असफलता सिद्ध हो, वह दूसरी बात! लेकिन वहां अकड़ जीतती है। वहां अकड़ का पागलपन जीतता है। क्योंकि वह दुनिया पागलों की है।

लेकिन अगर इसी अहंकार को ले कर तुम परमात्मा की तरफ जाने लगे, तब भूल हो जाएगी। तुम चाहे कितने ही सफल हुए हो, सिकंदर रहे हो, नेपोलियन रहे हो, संसार में तुमने कितनी ही सफलता पायी हो, इसी नाव को ले कर तुम परमात्मा की तरफ मत जाना। क्योंकि यही बाधा हो जाएगी। इसी की वजह से तुम जकड़ जाओगे। नाव को रख कर उसी में बैठे रह जाओगे। यात्रा तो असंभव होगी।

एक ओंकार सतनाम 

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts