कृष्ण ने अर्जुन को गीता में कहा है: सर्वधर्मान् परित्यज्य–‘तू सब धर्मों को छोड़कर मेरी शरण आ जा।’
तुम हिंदू हो, गुरु के पास जाते ही तुम हिंदू न रह जाओगे। और अगर तुम
हिंदू रह गए तो समझना गुरु झूठा है। तुम मुसलमान हो, गुरु के पास जाते ही
तुम मुसलमान न रह जाओगे। अगर फिर भी तुम्हें मुसलमानियत प्यारी रही तो
समझना, तुम गलत जगह पहुंच गए। तुम जैन हो, बौद्ध हो, या कोई भी हो, गुरु
तुमसे कहेगा, ‘सर्वधर्मान् परित्यज्य!’ सब धर्म को छोड़कर तू मेरे पास आ जा।
धर्म तो अंधे की लकड़ी है। उससे वह टटोलता है। शास्त्र तो नासमझ के शब्द
हैं। जो नहीं जानता, वह सिद्धांतों से तृप्त होता है। गुरु के पास पहुंचकर
तुम्हारे शास्त्र, तुम्हारे धर्म, तुम्हारी मस्जिद, मंदिर, तुम खुद,
तुम्हारा सब छिन जाएगा।
इसलिए गुरु के पास जाना बड़े से बड़ा साहस है।
और गुरु के पास पहुंचकर टिक जाना सिर्फ थोड़े से लोगों की हिम्मत का काम है।
लोग आते हैं और जाते हैं। आते हैं और भागते हैं। जैसे ही नींद पर चोट
होती है, वैसे ही बेचैनी शुरू हो जाती है। जब तक तुम उन्हें फुसलाओ,
थपथपाओ, लोरी सुनाओ, जब तक उनकी नींद को तुम गहरा करो, तब तक वे प्रसन्न
हैं। जैसे ही तुम उन्हें हिलाओ, वैसे ही बेचैनी शुरू हो जाती है।
तुमने अकारण ही जीसस को सूली नहीं दी। और तुमने सुकरात को व्यर्थ ही जहर
नहीं पिलाया। जीसस को सूली देनी पड़ती है क्योंकि यह आदमी तुम्हें सोने
नहीं देता। तुम थके-मांदे हो, तुम नींद में उतरना चाहते हो। तुम इतने बेचैन
और परेशान हो, तुम चाहते हो थोड़ी देर शांति मिल जाए, खो जाऊं, बेहोशी आ
जाए। अगर ठीक से समझो तो संसार की सारी खोज बेहोशी की खोज है। कोई शराब से
खोजता है, कोई संगीत से खोजता है, कोई संभोग से खोजता है और कुछ नासमझ
ध्यान से भी उसी को खोजते हैं–किसी तरह तुम भूल जाओ कि तुम हो।
गुरु तुम्हें जगाएगा और याद दिलाएगा कि तुम हो। गुरु तुम्हारे नशे को
तोड़ेगा, तुमसे शराब छीन लेगा। तुमसे सारी मादकता छीन लेगा। तुम्हारा भजन,
तुम्हारा कीर्तन, तुम्हारा नाम-स्मरण, तुम्हारे मंत्र, सब छीन लेगा ताकि
तुम्हारे पास सोने का कोई भी उपाय न रह जाए। तुम्हें जागना ही पड़े। तुम्हें
पूरी तरह जागना होगा ताकि तुम जान सको, तुम कौन हो।
उस प्रतीति से ही पुरानी नींद की दुनिया का अंत, और एक नये जगत का
प्रारंभ होता है। उस नये जगत का नाम मोक्ष है। नींद में देखा गया कोई सपना
नहीं, नींद जब टूट जाती है तब जिसकी प्रतीति होती है, उसी का नाम परमात्मा
है। नींद में की गई प्रार्थना नहीं, जब नींद नहीं रह जाती तब तुम्हारी जो
भावदशा होती है, उसका नाम ही प्रार्थना है।
बिन बाती बिन तेल
ओशो
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