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Thursday, July 7, 2016

देवता

यह देवता शब्द। को थोड़ा समझना जरूरी है। इस शब्द से बड़ी भ्रांति हुई है। देवता शब्द बहुत पारिभाषिक शब्द‍ है।


देवता शब्द का अर्थ है……..इस जगत में जो भी लोग है, जो भी आत्माएं है। उनके मरते ही साधारण व्यक्तिो का जन्म तत्काल हो जाता है। उसके लिए गर्भ तत्काल उपलब्ध होता है। लेकिन बहुत असाधारण शुभ आत्मा के लिए तत्काल गर्भ अपलब्धि नहीं होता। उसे प्रतीक्षा करनी पड़ती है। उसके योग्य. गर्भ के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। बहुत बुरी आत्मा, बहुत ही पापी आत्मा. को भी गर्भ तत्काल उपल्बध नहीं होता है। उसे भी बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ती है। साधारण आत्मा. के लिए तत्का्ल गर्भ उपलब्ध। हो जाता है।


इसलिए साधारण आदमी इधर मरा और उधर जन्मा, इस जन्म‍ और मृत्यु और नए जन्म के बीच में बड़ा फासला नहीं होता। कभी क्षणों का भी फासला होता है। कभी क्षणों का भी नहीं होता। चौबीस घंटे गर्भ उपलब्धी; तत्काल आत्मा गर्भ में प्रवेश कर जाती है। ,


लेकिन एक श्रेष्ठी आत्मा नए गर्भ में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा में रहती है। इस तरह की श्रेष्ठे आत्मातओं का नाम देवता है। निकृष्ट आत्माएं भी प्रतीक्षी में होती है। इस तरह की आत्मा्ओं का नाम प्रेतात्माएं है। वे जो प्रेत है, ऐसी आत्मा्एं जो बुरा करते-करते मरी है। लेकिन इतना बुरा करके मरी है। अब जैसे कोई हिटलर, कोई एक करोड़ आदमियों की हत्या जिस आदमी के ऊपर है, इसके लिए कोई साधारण मां गर्भ नहीं बन सकती है। और न कोई साधारण पिता गर्भ बन सकता है। ऐसे आदमी को भी गर्भ के लिए बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ती है। लेकिन इसकी आत्मा इस बीच क्या करेगी? इसकी आत्मा इस बीच खाली नहीं बैठी रह सकती। भला आदमी तो कभी खाली भी बैठ जाए, बुरा आदमी बिलकुल खाली नहीं बैठ सकता। कुछ न कुछ करने को कोशिश जारी रहेगी।


तो जब भी आप कोई बुरा काम करते है। तब तत्काल ऐसी आत्माओं को आपके द्वारा सहारा मिलता है, जो बुरा करना चाहती है। आप वैहिकल बन जाते है। आप साधन बन जाते है। जब भी आप कोई बुरा काम करते हो, तो ऐसी आत्मा अति प्रसन्नी होती है। और आपको सहयोग देती है। जिसे बुरा करना है, लेकिन उसके पास शरीर नहीं है। उस लिए कई बार आपको लगा होगा कि बुरा काम आपने कोई किया और पीछे आपको लगा होगा, बड़ी हैरानी की बात है, इतनी ताकत मुझमें कहां से आ गई कि मैं यह बुरा का कर पाया। यह अनेक लोगों का अनुभव है। इसलिए अच्छा आदमी भी अकेला नहीं इस पृथ्वी पर और बुरा आदमी भी अकेला नहीं है, सिर्फ बीच के आदमी अकेले होते है। सिर्फ बीच के आदमी अकेले होते है। जो न इतने अच्छे होते है कि अच्छों से सहयोग पा सकते सकें, न इतने बुरे होते है कि बुरों से सहयोग पा सकें। सिर्फ साधारण, बीच का मीडिया कर, मिडिल क्लास: पैसे के हिसाब से नहीं कह रहा आत्मा के हिसाब से जो मध्य वर्गीय है, उनको, वे भर अकेले होते है। वे लोनली होते है। उनको कोई सहारा-वहारा ज्याबदा नहीं मिलता। और कभी-कभी हो सकता है कि या तो वे बुराई में नीचे उतरें, तब उन्हेंल सहारा मिले; या भलाई में ऊपर उठे, तब उन्हेंत सहारा मिले। लेकिन इस जगत में अच्छेी आदमी अकेले नहीं होते, बुरे आदमी अकेले नहीं होते।


जब महावीर जैसा आदमी पृथ्वी पर होता है या बुद्ध जैसा आदमी पृथ्वी पर होता है, तो चारों और से अच्छी आत्माएं इकट्ठी सक्रिय हो जाती है। इसलिए जो आपने कहानियां सुनी है; वे सिर्फ कहानियां नहीं है। यह बात सिर्फ कहानी नहीं है कि महावीर के आगे और पीछे देवता चलते है। यह बात कहानी नहीं है कि महावीर की सभा में देवता उपस्थिंत है। यह बात कहानी नहीं है कि जब बुद्ध गांव में प्रवेश करते है, तो देवता भी गांव में प्रवेश करते है। यह बात, यह बात माइथेलॉजी नहीं है, पुराण नहीं है।


इसलिए भी कहता हूं पुराण नहीं है। क्योंहकि अब तो वैज्ञानिक अधारों पर भी सिद्ध हो गया है कि शरीरहीन आत्माहएं है। उनके चित्र भी, हजारों की तादात में लिए जा सके है। अब तो विज्ञानिक भी अपनी प्रयोगशाला में चकित और हैरान है। अब तो उनकी भी हिम्मसत टूट गई है। यह कहने की कि भूत-प्रेत नहीं है। कोई सोच सकता था कि कैलिफ़ोर्निया या इलेनाइस ऐसी युनिवर्सिटीयों में भूत-प्रेत का अध्य यन करने के लिए भी कोई डिपार्टमैंट होगा। पश्चिसम के विश्वेविद्यालय भी कोई डिपार्टमैंट खोलेंगे, जिसमें भूत-प्रेत का अध्ययन होगा। पचास साल पहले पश्चिैम पूर्व पर हंसता था कि सूपरस्टीटस हो। हालाकि पूर्व में अभी भी ऐसे नासमझ है, जो पचास साल पुरानी पश्चिेम की बात अभी दोहराए चले जा रहे है। 


पचास साल में पश्चिशम ने बहुत कुछ समझा है और पीछे लौट आया है। उसके कदम बहुत जगह से वापस लौटे है। उसे स्वीककार करना पड़ा है कि मनुष्या के मर जाने के बाद सब समाप्तल नहीं हो जाता। स्वीउकार कर लेना पडा है कि शरीर के बाहर कुछ शेष रह जाता है। जिसके चित्र भी लिए जा सकते है। स्वीककार करना पडा है कि अशरीरी आस्तिदत्वा संभव है। असंभव नहीं है। और यह छोटे-मोटे लोगों ने नहीं, ओली वर लाज जैसा नोबल प्राइज़ विनर गवाही देता है के प्रेत है। सी. डी. ब्रांड जैसा विज्ञानिक चकित गवाही देता है कि प्रेत है। जे. बी. राइन और मायर्स जेसे जिंदगी भर वैज्ञानिक ढंग से प्रयोग करने वाले लोग कहते है कि अब हमारी हिम्मत उतनी नहीं है पूर्व को गलत कहने की, जितनी पचास साल पहले हमारी हिम्मत होती थी।

गीता दर्शन 

ओशो 

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