Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Sunday, July 26, 2015

मारपा

मारपा–एक तिब्बती रहस्यवादी मर रहा है। हर एक रो रहा है और मारपा चिल्लाता है, रुको! ऐसे शुभ अवसर पर तुम क्यों रो रहे हो? मैं परमात्मा से मिलने जा रहा हूं। वह अभी और यहां है। और वह हंसता है, और मुस्कुराता है और अंतिम गीत गाता है, और हर एक रोता जा रहा है क्योंकि परमात्मा वहां किसी को भी दिखलाई नहीं पड़ता है।
मारपा कहता है–परमात्मा यहां और अभी है और तुम क्यों रो रहे हो? इतना आनंदोत्साह मनाने का अवसर!
इतना शुभ अवसर! गाओ और नाचो और खुशियां मनाओ! मारपा अपने मित्र से मिलने जा रहा है। परमात्मा बस अभी और यहीं है। मैंने लंबी प्रतीक्षा की है और अब वह क्षण आया है। तुम क्यों रो रहे हो? मारपा को समझ में नहीं आता कि क्यों रो रहे हैं। वे भी नहीं समझ पाते कि मारपा गीत क्यों गा रहा है? क्या वह पागल हो गया है? हां, सचमुच, वह हमारे लेखे पागल ही हो गया है। मृत्यु वहां खड़ी है और ऐसा लगता है कि वह पागल हो गया है। मारपा कुछ और देख रहा है। मारपा वस्तुतः मनुष्य जाति में एक सर्वाधिक खिला हुआ व्यक्ति था।
जब मारपा अपने गुरु के पास आता है। गुरु कहता है, श्रद्धा ही कुंजी है। तब मारपा कहता है–तो फिर मुझे मेरी श्रद्धा की परीक्षा का उपाय बताओ। यदि श्रद्धा ही कुंजी है तो मेरी श्रद्धा की परीक्षा का कोई उपाय बताओ। वे एक पहाड़ी पर बैठे थे और गुरु ने कहा, कूद जाओ। और मारपा कूद जाता है। यहां तक कि गुरु भी सोचता है कि वह मर जाएगा। कई अनुयायी वहां मौजूद हैं और वे भी सोचते हैं कि वह पागल हो गया है और उन्हें उसकी एक ही का पता नहीं चलेगा।

वे सब दौड़ कर नीचे जाते हैं और मारपा वहां पर बैठा हुआ है और गाना गा रहा है और नाच रहा है। अतः गुरु पूछता है कि क्या हुआ? ऐसा लगता है कि वह एक घटना संयोग था। गुरु भी अपने मन में चुपचाप सोचता है कि वह कोई घटना संयोग था: ऐसा असंभव है। ऐसा कैसे हो सकता है? यह एक संयोग की बात है। मुझे किसी दूसरी तरह से इसकी परीक्षा लेनी पड़ेगी? गुरु ने कितने ही ढंग से उसकी परीक्षा ली। गुरु उसे एक जलते हुए मकान में जाने के लिए कहता है। वह भीतर चला जाता है और वह बाहर निकल आता है बिना लपटों में झुलसे हुए। उसे समुद्र में कूदने के लिए कहा जाता है और वह कूद जाता है।
कितनी ही परीक्षाएं ली जाती हैं और अब गुरु नहीं कह सकता कि यह मात्र घटना संयोग है। इसलिए वह मारपा से पूछता है–तुम्हारा गुप्त रहस्य क्या है? मारपा कहता है–मेरा गुप्त रहस्य। आपने कहा था कि श्रद्धा ही कुंजी है और मैंने आपकी बात मान ली।
गुरु कहता है, अब रुक जाओ, क्योंकि डर है, कुछ भी हो सकता है। अतः मारपा कहता है, अब कुछ भी हो सकता है, क्योंकि मैंने मात्र आपका शब्द पकड़ लिया था। अब मैं आपका शब्द नहीं पकड़ सकता, यदि आप स्वयं ही निश्‍चित नहीं हैं। मैंने सोचा था कि श्रद्धा ही कुंजी है, परन्तु अब यह काम न पड़ेगी, इसलिए कृपया दुबारा मुझे कोई आज्ञा न दें। अगली बार मैं मर जाउंगा, इसलिए फिर से मुझे कोई आज्ञा न दें! यही शुद्धता है, बच्चों जैसी पवित्रता तिब्बत में, मारपा को वफादार मारपा के नाम से जाना जाता है। यह एक बच्चों जैसी श्रद्धा है।
अतः कहानी कहती है कि मारपा अपने गुरु का भी गुरु बन गया। उसका गुरु उसके सामने झुका और बोला–अब वह श्रद्धा की कुंजी मुझे दो, क्योंकि मुझमें कोई श्रद्धा नहीं है। मैं तो सिर्फ बात कर रहा था। मैंने केवल सुना है कि श्रद्धा ही कुंजी है, इसलिए मैं तो सिर्फ बात कर रहा था। अब वह तुम मुझे दो। अतः मारपा अपने गुरु का भी गुरु हो गया।


मारपा का मन शुद्ध, निर्दोष व हिसाब न लगाने वाला है। एक भी क्षण गणना करने का या चालाकी करने का नहीं है। उसे इतना भी नहीं देखना है कि खाई कितनी गहरी है। वह गुरु से इतना भी नहीं पूछता है–क्या मैं आपकी बात को शब्दों में लूं अथवा यह मात्र एक प्रतीकात्मक है अथवा आप कोई रहस्य की भाषा में कुछ कह रहे हैं? क्या मैं कूद ही जाउं वास्तव में, या आप किसी आंतरिक छलांग की बात कर रहे हैं? बिना किसी हिसाब के, चालाकी के वह कूद जाता है। गुरु कहता है, कूद जाओ और वह कूद जाता है। दोनों के बीच अंतराल नहीं है। एक क्षण का भी अंतराल पड़ा और आपने हिसाब लगाया।

ऐसी ही अंतराल-रहित शुद्धता आपको खोलती है। आप एक खुला द्वार हो जाते हैं। वही आवाहन है।

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts