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Sunday, September 20, 2015

गैर यांत्रिक होना एक रहस्‍य

अगर हम अपनी क्रियाओं को गैर-यांत्रिक ढंग से कर सकें तो हमारी पूरी जिंदगी ही एक ध्‍यान बन जाएगी। तब कोई भी छोटा से कृत्‍य-स्‍नान करना, भोजन करना, अपने मित्र से बातचीत करना-ध्‍यान बन जाएगा। ध्‍यान एक गुणवता है, जो किसी भी चीज के साथ जोड़ी जा सकती है। यह अलग से किया गया काम नहीं है। लोग ऐसा ही सोचते है। वे सोचते हैं कि ध्‍यान भी एक कृत्‍य है—जब हम पूर्व दिशा में मुंह करके बैठते है, किसी मंत्र का जाप करते है, धूप-अगरबत्‍ती जलाते है, किसी विशेष समय पर, किसी विशेष मुद्रा में, किसी विशेष ढंग से कुछ-कुछ करते है।

ध्‍यान का इन सब बातों से कोई संबंध नहीं है। ये सब ध्‍यान को यांत्रिक बनाने के तरीके हैं और ध्‍यान यांत्रिकता के विरोध में है। 

तो अगर हम होश को सम्‍हाले रखे, कार्यो के प्रति सजग रहे, अपनी एक-एक गति विधियों के प्रति अपने क्रिया कलापों को अपनी क्रियाऔ के प्रति होश पूर्ण हो जाये, फिर कोई भी कार्य ध्‍यान है, कोई भी क्रिया हमें बहुत सहयोग देगी।

आरेंज बुक

ओशो 

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