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Sunday, October 11, 2015

जीवन में व्रत का क्या मूल्य है? भाग १

व्रत का मूल्य तो जरा भी नहीं, बोध का मूल्य है। व्रत का तो अर्थ ही होता है, बोध की कमी है। उसकी परिपूर्ति तुमने व्रत से कर ली।

तुमने देखा, झूठे आदमी ज्यादा कसमें खाते हैं। हर बात में कसम खाने को तैयार रहते हैं। झूठा आदमी कसम के सहारे चलता है। वह अपनी झूठ को कसम के सहारे सच बताना चाहता है।

पश्चिम में ईसाइयों का एक छोटा सा रहस्यवादी संप्रदाय है, क्वेकर। वे अदालत में भी कसम खाने को राजी नहीं होते। सैकड़ों बार तो उनको इसीलिए सजा भोगनी पड़ी है, क्योंकि अदालत में वह कसम खानी ही पडेगी बाइबिल हाथ में लेकर कि मैं सच बोलूंगा। लेकिन क्वेकर्स का कहना भी बड़ा सही है, वे कहते हैं कि मैं सच बोलूंगा, यह भी कोई कसम खाने की बात है! और अगर मैं झूठ बोलने वाला हूं तो कसम भी झूठी खा लूंगा। यह बात ही फिजूल है, यह बात ही मूढ़तापूर्ण है। एक झूठे आदमी से कहो कि यह हाथ में लेकर कुरान या बाइबिल या गीता कसम खा लो कि सच बोलोगे। अब अगर वह आदमी सच में झूठा है, तो वह कसम खा लेगा कि लाओ, कसम खा लेता हूं। झूठ बोलने वाले आदमी को झूठी कसम खाने में कौन सी बाधा है! और सच बोलने वाला आदमी जरूर कहेगा कि मैं कसम क्यों खाऊं, क्योंकि मैं जो बोलता हूं वह सच ही है। कसम खाने का तो मतलब होगा कि बिना कसम खाए जो बोलता हूं वह झूठ है।

इसलिए क्वेकर कसम नहीं खाते। वे कहते हैं, कसम खाने का तो मतलब ही यह हुआ कि बिना कसम खायी गयी बात झूठ है। हम सच ही बोलते हैं, कसम और गैर कसम का कोई सवाल नहीं है!

व्रत का अर्थ होता है, कसम। व्रत का अर्थ होता है, समाज के सामने कसम। तुम गए मंदिर में, साधु—संन्यासी के पास, मुनि महाराज के पास, समाज की भीड़ में तुमने कसम खा ली। यह कसम तुम भीड़ में खाते हो। क्यों? क्योंकि तुम्हें अपने पर तो भरोसा नहीं है। तुम जानते तो हो कि अगर सबके सामने कसम खा ली कि अब धूम्रपान न करेंगे, तो अब प्रतिष्ठा का सवाल हो गया। अब अगर समाज में कहीं कोई धूम्रपान करता हुआ पकड़ लेगा, तो बेइज्जती होगी। तो तुमने धूम्रपान के खिलाफ अहंकार को खड़ा कर दिया। कसम का क्या मतलब है?

कसम का मतलब यह हुआ कि अब अहंकार को चोट लगेगी। लोग कहेंगे, अरे, तुमने तो कसम खा ली थी धूम्रपान न करने की, अब कर रहे हो! शर्म नहीं आती! मुनि महाराज के पास किस मुंह को लेकर जाओगे? मंदिर में कैसे प्रवेश करोगे? बाजार में कैसे निकलोगे? प्रतिष्ठा दाव पर लगा दी। कसम का मतलब यह है कि अब सबसे कह दिए कि आज से मैं सिगरेट नहीं पीऊंगा, कि धूम्रपान नहीं करूंगा। अब सारे लोग तुम्हारे पहरेदार हो गए, यह मतलब है कसम का। अब जो भी देखेगा छोटे से लेकर बड़े तक, वह कहेगा, अरे भाई! क्या कर रहे हो! कल तक कोई भी नहीं कह सकता था, क्योंकि तुम अपने मालिक थे। तुमने मालकियत इनके हाथ में दे दी। कल तक हो सकता था पत्नी से बचाकर पी लेते थे, पिता से बचाकर पी लेते थे, अब तुमको सबसे बचाकर पीना होगा, यह बहुत कठिन मामला है! कहां पीओगे? कैसे बचाओगे?

क्रमशः 

एस धम्मो सनंतनो 

ओशो 


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