Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Sunday, November 22, 2015

अगर सद की खोज हो, तो यह सारा जगत सदपुरुषों से हमेशा भरा हुआ है।

ऐसे लोग हुए, जो महावीर को नहीं समझ सके। ऐसे लोग हुए, जिन्होंने क्राइस्ट को सूली पर लटका दिया, यह समझकर कि यह तो झूठ बातें बोलता है। ऐसे लोग हुए, जिन्होंने सुकरात को जहर पिला दिया। और वे लोग उस दिन हुए, ऐसा मत सोचना, वे सब आपके भीतर मौजूद हैं। आप ही लोग थे। अभी आपको मौका मिल जाए, तो सुकरात को जहर पिला देंगे; और मौका मिल जाए, तो क्राइस्ट को सूली पर लटका देंगे; और मौका मिल जाए, तो महावीर को देखकर आप हंसने लगेंगे कि यह कैसा पागल आदमी है! लेकिन चूंकि वे मर गए, मुरदों को आप पूज लेते हैं, उनसे कोई दिक्कत नहीं है। जो जिंदा हैं, उनको पूजना बड़ा मुश्किल है; उनको मानना, उनको समझना बड़ा मुश्किल है।

तो अगर सद की खोज हो, तो यह सारा जगत सदपुरुषों से हमेशा भरा हुआ है। ऐसा कभी नहीं हुआ है, न कभी होगा। और जिस दिन यह हो जाएगा कि सदपुरुषों की परंपरा खंडित हो जाएगी, उस दिन आगे कोई सदपुरुष नहीं हो सकेगा। क्योंकि वह धारा ही टूट जाएगी, वह रेगिस्तान में विलीन हो जाएगी। मोटी और पतली हमेशा बह रही है वह धारा। उससे परिचित होना, संबंधित होना। और उसके लिए रास्ता यह नहीं है कि आपको कोई जब बिलकुल ही परम व्यक्ति मिलेगा, तब आप समझेंगे। आपकी आंख खुली रखें। छोटी-छोटी घटनाओं में समझना हो सकता है।

एक बात मैं पढ़ता था एक साधु के बाबत। वे साठ वर्ष की उम्र तक व्यवसाय करते रहे। उनका नाम, घर का नाम राजा बाबू था। वृद्ध हो गए, तो भी लोग उन्हें राजा बाबू कहते। एक दिन सुबह-सुबह वे घूमने निकले थे। सुबह अभी सूरज नहीं ऊगा है, वे गांव के बाहर घूमने गए हैं। एक स्त्री अपने घर में एक बच्चे को जगा रही है। वह उससे कह रही है कि ‘राजा बाबू! कब तक सोए रहोगे? अब सुबह हो गयी, उठो।’ वे बाहर छड़ी लिए हुए चले जा रहे थे, उन्हें सुनायी पड़ा कि ‘राजा बाबू! कब तक सोए रहोगे? अब तो सुबह हो गयी, अब तो उठो।’ और उन्होंने यह सुना और वे वापस लौट आए और उन्होंने घर जाकर कहा कि ‘अब मुश्किल है, आज उपदेश मिल गया। आज सुनायी पड़ गया कि राजा बाबू, कब तक सोए रहोगे! अब तो सुबह भी हो गयी, अब उठो।’ तो उन्होंने कहा, ‘आज तो बस बात समाप्त हो गयी।’

अब यह किसी स्त्री ने न मालूम किस बच्चे को सुबह उठाने के लिए कहा था, लेकिन जिसके पास आंख थी, उसके लिए उपदेश बन गया। और यह हो सकता है कि कोई आपको ही उपदेश दे रहा हो और आपके पास कान और आंख न हों, और आप बैठे सुनते रहें, और समझें कि शायद किसी और से कहता होगा।

तो सद का संपर्क, सद की आकांक्षा, सद की तलाश, अन्वेषण और सदविचारों का जीवन में प्रवेश, प्रकृति का सान्निध्य, ये सदविचार के लिए, शुद्ध विचार के लिए उपयोगी शर्तें और भूमिकाएं हैं।

ध्यान सूत्र 

ओशो 


No comments:

Post a Comment

Popular Posts