मैं बहुत बार तुम्हें कहा भी हूं कि बुद्ध कहते हैं, अश्व वही है जो कोड़े की छाया से चल पड़े। उससे कम श्रेष्ठ वह है जिसे कोड़े की फटकार चलाने के लिए जरूरी हो। उससे कम श्रेष्ठ वह है जिस घोड़े को कोड़े की चोट मारनी जरूरी हो। उससे कम श्रेष्ठ वह है जो मारे मारे न चले। चले भी तो जबरदस्ती चले।
Osho Whatsapp Group
To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...
Thursday, October 1, 2015
एक दिन बुद्ध ने श्रेष्ठ और अश्रेष्ट घोड़ों की बात कही।
मैं बहुत बार तुम्हें कहा भी हूं कि बुद्ध कहते हैं, अश्व वही है जो कोड़े की छाया से चल पड़े। उससे कम श्रेष्ठ वह है जिसे कोड़े की फटकार चलाने के लिए जरूरी हो। उससे कम श्रेष्ठ वह है जिस घोड़े को कोड़े की चोट मारनी जरूरी हो। उससे कम श्रेष्ठ वह है जो मारे मारे न चले। चले भी तो जबरदस्ती चले।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
यह प्रश्न उन्होंने इतनी बार पूछा है कि मुझे शक है , तुम्हें अपनी मां से यौन-संबंध करना है कि अपनी बेटी से , किससे करना है ? यह प्रश्न ...
-
गुरु की धारणा मौलिक रूप से पूर्वीय है। पूर्वीय ही नहीं, भारतीय है। गुरु जैसा शब्द दुनियां की किसी भाषा में नहीं है। शिक्षक, टीचर, मास्टर ...
-
अपने कमरे के दरवाजे बंद कर दें, और एक बहुत बड़ा दर्पण अपने सामने रख लें। कमरा अंधेरा होना चाहिए। और फिर दर्पण के पास एक हल्की रोशनी का लैंप...
-
To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...
-
मनुष्य एक अद्वितीय स्थिति है। और ध्यान रखना शब्द--स्थिति। एक जगत है मनुष्यों के नीचे पशुओं का। वे पूरे ही पैदा होते हैं ; उन्हें जो होन...
-
चिंता का अर्थ ही यह है कि बोझ मुझ पर है। पूरा कर पाऊंगा ? नहीं ; तुम साक्षी हो जाओ। कृष्ण ने गीता में यही बात अर्जुन से कही है कि तू क...
-
चौथा शरीर है; यह ह्रदय के पास है, हमारा मेंटल बॉडी, मनस शरीर: साइकिक। इस चौथे शरीर के साथ हमारे चौथे चक्र का संबंध है अनाहत का। ...
-
मन है विचार की प्रक्रिया। मन कोई यंत्र नहीं है। मन कोई वस्तु नहीं है। मन एक प्रवाह है। मन को अगर हम ठीक से समझें तो मन कहना ठीक नहीं– म...
-
भोलेराम! बाबा , क्या मुंडकोपनिषद के लेखक से नाराज हो गए ? कि देखें , कौन है यह! कि इसको ठीक करें! मैं डर रहा था कि कोई यह प्...
-
तिब्बत में एक कहावत है : ‘जो अज्ञानी हैं वे सौभाग्यशाली हैं, क्योंकि वे यह सोच कर प्रसन्न हैं कि वे सब कुछ जानते हैं।’ प्रत्येक बात को...
No comments:
Post a Comment