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Monday, April 25, 2016

सदैव सजग बने रहो

जब मैं विश्वविद्यालय में एक छात्र था, तो मैं अपने एक मित्र प्रोफेसर के साथ ठहरा करता था। उनकी मां कट्टर हिंदू थीं, पूर्ण रूप से अशिक्षित, लेकिन बहुत अधिक धार्मिक। एक दिन जाड़े की रात में, जब कमरे के आतिशदान में आग जल रही थी, मैं ऋग्वेद पड़ रहा था। इतने में वे मेरे पास आकर बोलीं : ’‘ तुम इतनी देर रात तक आखिर क्या पढ़ रहे हो?” केवल उन्हें चिढ़ाने के लिए मैंने कहा : ’‘ मैं कुरान पढ़ रहा हूं।’’ मेरे ऊपर जैसे उछल कर उन्होंने मुझसे ऋग्वेद छीन कर आतिशदान में जलती हुई आग में फेंक दिया और क्रोधित होकर मुझसे प्रश्न किया ’‘ क्या तुम मुसलमान हो?” तुमने मेरे घर में कुरान लाने का साहस कैसे किया?”


अगले दिन मैंने उनके पुत्र अर्थात् अपने मित्र प्रोफेसर से कहा ’‘ आपकी मां तो मुसलमान लगती हैं क्योंकि इस तरह की चीज तो अभी तक केवल मुसलमानों के द्वारा की जाती रही है।


मुसलमानों ने विश्व का सबसे अधिक बड़ा और मूल्यवान पुस्तकों का खजाना सिकंदरिया का पूरा पुस्तकालय ही जला दिया। उस पुस्तकालय में विश्व की प्राचीन सभ्यता की बहुमूल्य विरासत थी। वह पुस्तकालय इतना विशाल था कि उसमें लगाई आग छ: महीने तक जलती रही। उसकी पुस्तकों को पूरी तरह जलने में छ: माह लगे। और जिस व्यक्ति ने उसे जलवाया, वह एक मुसलमान खलीफा था। उसका तर्क, पहली तरह के धर्म का तर्क है। वह अपने एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में जलती हुई मशाल के साथ, पुस्तकालयाध्यक्ष के सामने आकर बोला ” मेरा एक सरल सा प्रश्न है। इस विशाल पुस्तकालय में लाखों करोड़ों पुस्तकें है………. ”

 उन पुस्तकों में वह सब कुछ था, जो मनुष्यता ने उस समय तक जाना और सीखा था, और वास्तव में उसमें उससे कहीं अधिक ज्ञान था जितना हम अब जानते है।
 
उस पुस्तकालय में लीमूरिया और अटलांटिस के सम्बंध में प्रत्येक सूचना थी और अटलांटिस की उस सभ्यता के पूरे शास्त्र और ग्रंथ थे, और वह सम्यता और पूरा महाद्वीप, अटलांटिक महासागर के गर्भ में समा गये। वह सर्वाधिक प्राचीनतम पुस्तकालय था; जिसमें उस समय तक के सभी ग्रंथों को सुरक्षित रखा गया था। यदि वह अभी भी रही होती, तो आज मनुष्यता पूरी तरह भिन्न होती क्योंकि हम अभी भी उन चीजों की खोज कर रहे हैं, जो पहले ही खोजी जा चुकी थीं।

इस खलीफा ने कहा: ’‘ यदि इस पुस्तकालय की सभी पुस्तकों में वह ज्ञान उपलब्ध है जो कुरान में है तब इन पुस्तकों की कोई आवश्यकता नहीं, यह आवश्यकता से अधिक है। यदि इनमें कुरान से अधिक कुछ है, तो वह गलत है।’’


तब उसको तुरंत नष्ट करना जरूरी है। हर तरह से उसे नष्ट किया ही जाना था। यदि उसमें वह सब कुछ है, जो कुरान में है तब वह आवश्यकता से अधिक है। फिर अनावश्यक रूप से इतने बडे पुस्तकालय का प्रबंध किए जाने की जरूरत क्या? एक कुरान ही काफी है। और यदि तुम कहते हो कि उसमें कुरान से भी कहीं अधिक चीजें और ज्ञान है, तो उस सभी को गलत होना ही चाहिए क्योंकि कुरान ही सर्वोच्च सत्य है।


एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में जलती मशाल लेकर, उसने कुरान के नाम पर पुस्तकालय में आग लगाना शुरू किया। उस दिन बहिश्त में मुहम्मद जरूर बहुत रोये और बिलखे होंगे, क्योंकि उनके ही नाम पर उस पुस्तकालय को जलाया जा रहा था। 

यह है पहली तरह का धर्म। सदैव सजग बने रहो, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में ऐसा ही हठी और दुराग्रही मनुष्य बैठा हुआ है।

आनंद योग 

ओशो 

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