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Wednesday, January 27, 2016

एक नयी आज़ादी

तुम एक लड़की से प्रेम करते हो; अब यह विकल्प है कि उससे विवाह करो या नहीं। तुम चाहे कुछ भी करो, तुम पछताओगे। यदि तुम उससे विवाह कर लो तो तुम सारी जिंदगी पछताते रहोगे कि दूसरा विकल्प अच्छा था। यदि तुम विवाह नहीं करो तो भी वही बात होगी, तब भी तुम सोचोगे कि दूसरा विकल्प ज्यादा ठीक था। क्योंकि तुम सजग नहीं हो। केवल एक सजग आदमी ही पूरी तरह, समग्रता से प्रतिसंवेदन करेगा।

तुम केवल टुकड़ों में, हिस्सों में ही प्रतिसंवेदन करते हो। और जब भी तुम प्रतिसवेदन करते हो तो वह टुकड़ों में ही होता है। तुम्हारे भीतर दूसरे हिस्से भी होते हैं जो कि उसके लिए मना करते होते हैं। देर अबेर वे बदला लेंगे। वे कहेंगे, हम कह रहे थे कि ऐसा मत करो। पश्चात्ताप का अर्थ क्या होता है? पश्चात्ताप का अर्थ होता है कि तुम विभाजित हो। तुम कुछ करते हो और उसी समय तुम्हारे भीतर कोई हिस्सा उसके खिलाफ होता है। वह हिस्सा तुम्हें देख रहा होता है और वह हिस्सा कह रहा होता है कि यह मत करो, यह गलत है। दूसरा हिस्सा कहे चला जाता है, यह बात ठीक है, करो। और तुम करते हो।


तुम कहीं ठीक नहीं बैठोगे क्योंकि तुम तभी ठीक बैठ सकते हो, जबकि तुम प्रवाह की तरह हो, बहते हुए हो। कोई जमी हुई चीज, एक सरिता जैसे अस्तित्व में ठीक नहीं बैठ सकती। तुम्हें बहते हुए, तरल होना चाहिए। यदि तुम तरल, बहते हुए, बदलते हुए, सजग, जागरूक हो, तभी तुम कभी पश्चात्ताप नहीं करतो। तब तुम कभी अपराधी महसूस नहीं करोगे। तब तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगेगा कि जो तुमने किया उससे बेहतर भी कुछ था। नहीं, उससे ज्यादा अच्छा कुछ भी नहीं हो सकता, क्योंकि तुमने समग्रता से प्रतिसवेदन किया। वही सब कुछ था जो कि किया जा सकता था। उससे अन्यथा कुछ भी संभव नहीं था।


मेरी ध्यान की विधि तुम्हें कोई नया ढांचा देने के लिए नहीं है, यह सिर्फ पुराने ढांचे को गिराने के लिए है। उसे नष्ट करने के लिए और तुम्हें एकदम मुक्त छोड़ देने के लिए है, ताकि तुम्हारे चारों ओर कोई कारागृह नहीं हो। निश्चित ही तुम्हें कुछ कठिनाई होगी, क्योंकि कारागृह में एक सुरक्षा भी थी। अब वर्षा होगी और कोई जगह शरण लेने को न होगी, आधिया चलेंगी और कोई ऐसा स्थान नहीं होगा जहा कि शरण ली जा सके; और सूर्य चमकेगा पूरी गर्मी और ताप से भरकर और सिर छिपाने को कोई भी जगह न होगी। और तुम्हारी आंखें अंधेरे की इतनी अभ्यस्त हो गई हैं कि रोशनी में तुम्हें बड़ी बेचैनी महसूस होगी। लेकिन यही तुम्हें मुक्ति प्रदान करेगी। तुम्हें खुले आकाश में नई जिंदगी को महसूस करना होगा।


एक बार तुम स्वतंत्रता और इसके सौंदर्य को जान लो, एक बार तुम सजग हो जाओ, एक बार तुम कारागृह के बाहर आ जाओ, अपनी पुरानी आदत के बाहर आ जाओ, तो तुम फिर किसी पुराने ढांचे अथवा अनुशासन के लिए माग नहीं करोगे।

केनोउपनिषद 

ओशो 



 

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