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Thursday, January 28, 2016

सपनो की व्याख्या

एक कहानी तुमसे कहूं। एक झेन फकीर हुआ। सुबह उठा…….और उस फकीर का स्वप्नों के विश्लेषण पर बड़ा भरोसा था। हैं भी स्वप्न बड़े काम के। वे आदमी के संबंध में बड़ी खबरें लाते हैं। और चूंकि आदमी झूठा है, इसलिए स्वप्न से खबर मिल सकती है, झूठी चीजों से खबर मिल सकती है।

उस फकीर का भी सपने में बड़ा रस था। और वह अपने शिष्यों से, साधकों से सपने पूछा करता था। क्योंकि हो सकता है, एक साधक आकर तो यह कहे कि मुझे भगवान को खोजना है, और रात सपने देखे हीरे की खदान खोजने का। इसका भगवान से कोई मतलब नहीं है। हो सकता है, यह भगवान को भी इसीलिए खोज रहा हो कि अगर भगवान मिल जाएं, तो जरा हीरे की खदान का पता पूछ लें। क्योंकि इसका सपना इसकी खबर दे रहा है कि इसकी असली खोज क्या है।

तो वह फकीर अपने साधकों के सपनों की डायरी रखवाता था कि डायरी लिखो। सच में अगर लोग अपनी आत्मकथाओं में जागने का समय छोड़ दें, सिर्फ नींद के समय की आत्मकथाएं लिखें तो दुनिया ज्यादा अच्छी हो सकेगी। और हम आदमियों के बाबत ज्यादा सच्ची बातें जान सकेंगे। दिन तो बड़ी झूठी दुनिया है। क्योंकि झूठा आदमी उसे बिलकुल आयोजित करता है। सपने में फिर भी एक सचाई है, क्योंकि वह अनआयोजित है, अनप्लांड है, अपने आप होता है। उसकी एक सचाई है। अगर हम सारी दुनिया के महात्माओं के सपनों को पकड़ लें, तो इतने महात्मा हमें दुनिया में दिखाई न पड़े, जितने दिखाई पड़ते हैं। इनमें से अधिक हिस्सा अपराधियों का मिलेगा। ही, ऐसे अपराधियों का, जो बाजार में जाकर अपराध नहीं करते, मन में कर लेते हैं।


तो वह फकीर अपने साधकों को पूछता रहता था। एक दिन सुबह वह उठा, उठकर बैठा ही था अपने बिस्तर पर कि उसका एक फकीर साधक वहां से निकल रहा था। उसने कहा कि रुक, रात मैंने एक सपना देखा, जरा व्याख्या कर। करेगा व्याख्या? उस साधक ने कहा, जरा रुके, मैं व्याख्या ले आऊं। उसने कहा, व्याख्या ले आऊं! फिर भी वह रुका। वह फकीर भीतर गया और वहा से एक पानी का जग लेकर आ गया। उसने कहा, जरा थोड़ा हाथ मुंह धो डालें। जब टूट ही गया है, तो अब क्या व्याख्या! हाथ मुंह धो डालें, जिससे कि जो भ्रम भी रह गया है थोड़ा सा सपने का, सपने का जो थोड़ासा स्वर भी रह गया है, वह साफ हो जाए।


उस फकीर ने कहा, बैठ जा! तेरी व्याख्या जंचती है। फिर दूसरा फकीर गुजर रहा था। उसने उसको बुलाया और कहा, सुन, रात मैंने एक सपना देखा है। इसने कुछ थोड़ी व्याख्या की है, यह पानी का जग रखा है। तू व्याख्या करेगा? उसने कहा, अभी आया, दो क्षण रुके। वह भागा हुआ गया और एक चाय का कप ले आया। उसने कहा, आप एक कप चाय पी लें और बात खतम। क्योंकि जब नींद ही खुल गई, हाथ मुंह ही धो डाला गया, तब मुझे क्यों फंसाते हैं? उस फकीर ने कहा, बैठ तेरी बात जंचती है। लेकिन अगर आज तुमने व्याख्या की होती, तो आश्रम के बाहर कर देता। तुम बच गए, बाल बाल बच गए, अगर आज तुमने व्याख्या की होती तो आश्रम के बाहर कर देता। क्योंकि जब सपना टूट ही चुका तो क्या व्याख्या करनी है!


लेकिन जब तक सपना चल रहा है, तब तक व्याख्या करनी है। मेरी सब व्याख्याएं सपने कीव्याख्याएं हैं। और सपने की व्याख्याएं सच नहीं हो सकतीं। मेरा मतलब समझ रहे हो न तुम! सपने की व्याख्या क्या खाक सच होगी, जब सपना ही सच नहीं होता! लेकिन सपने की व्याख्या सपने के तोड्ने में सहयोगी हो सकती है। और वही टूट जाए तो तुम जाग जाओगे। जिस दिन तुम जागोगे, उस दिन तुम नहीं कहोगे कि सपना सच था, नहीं कहोगे कि व्याख्या सच थी। तुम कहोगे, एक खेल था जो समाप्त हुआ। और उस खेल के दो पहलू थे। सपने में रमने का एक पहलू था, सपने को तोड्ने का एक पहलू था। सपने में रमने का नाम संसार है, सपने को तोड्ने वाली व्याख्याओं का नाम संन्यास है बाकी हैं सब दोनों सपने के भीतर की बातें। सपने में रमने का नाम संसार है, सपने को तोड्ने की चेष्टा संन्यास है, लेकिन हैं दोनों सपने की बातें। और जब सपना टूट जाएगा, तो न संसार होगा, न संन्यास होगा। तब जो होगा, वह सत्य है।




में मृत्यु सिखाता हूँ

ओशो 


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