Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Wednesday, September 9, 2015

बुद्ध पुरुष : एक ऊर्जा पुंज:


        बुद्ध के मर जाने के बाद कोई पांच सौ वर्षों तक बुद्ध की कोई प्रतिमा नहीं बनाई गई और प्रतिमा की जगह बोधिवृक्ष की पूजा चली। प्रतिमा नहीं थी, सिर्फ वृक्ष ही था। मंदिर भी बनाते थे तो उसमें एक वृक्ष, पत्थर का वृक्ष बनाते थे या पत्थर पर वृक्ष को खोद देते थे और नीचे वह जगह खाली रहती, जहां बुद्ध के बैठने की जगह थी। अब जो लोग पुरातत्व या इतिहास की खोज करते हैं, वे बड़ी मुश्किल में हैं कि बुद्ध की प्रतिमा क्यों न बनाई, बुद्ध का वृक्ष क्यों बनाया? फिर पांच सौ साल के बाद क्यों प्रतिमा बनाई? और पांच सौ साल तक वृक्ष के नीचे जगह क्यों खाली छोड़ी?

         अब यह बड़े राज की बात है और पुरातत्वविद को और इतिहासज्ञ को कभी पता नहीं चल सकता, क्योंकि इतिहास और पुरातत्व से इसका कोई लेना देना नहीं है। असल में, जिन लोगों ने बुद्ध को गौर से देखा था, उनका कहना था कि जब गौर से देखो तो बुद्ध दिखाई नहीं पड़ते, सिर्फ वृक्ष ही रह जाता है, सिर्फ विद्युत की ऊर्जा रह जाती है। गौर से अगर देखो तो बुद्ध विदा हो जाते हैं, वहां सिर्फ विद्युत की ऊर्जा ही रह जाती है, वहां आदमी समाप्त हो जाता है। जैसे मैं यहां बैठा हूं और गौर से देखा जाऊं, सिर्फ कुर्सी दिखाई पड़े और मैं विदा हो जाऊं।

        तो बुद्ध को जिन्होंने गौर से देखा, वे कहते थे कि बुद्ध दिखाई नहीं पड़ते थे, वृक्ष ही दिखाई पड़ता था, और जिन्होंने गौर से नहीं देखा, वे कहते थे, बुद्ध दिखाई पड़ते थे। इसलिए आथेंटिक उनका ही कहना था जिन्होंने गौर से देखा था। पांच सौ साल तक उनकी बात मानी गई। पांच सौ साल तक उनकी बात मानी गई जिन्होंने कहा था कि नहीं, बुद्ध कभी नहीं दिखाई पड़े; जब गौर से देखा तो वे नहीं थे, जगह खाली थी; वृक्ष ही रह गया था पीछे।

      लेकिन यह तब तक चल सका जब तक कि गौर से देखनेवाले लोग थे, और गैर गौर से देखनेवालों ने माना कि भई, हमने तो कभी गौर से देखा नहीं, इसलिए हमको तो दिखाई पड़ते थे। लेकिन जब यह वर्ग खोता चला गया, तब यह बात मुश्किल हो गई कि वृक्ष अकेला क्यों हो, नीचे बुद्ध होने चाहिए। फिर पांच सौ साल बाद उनकी प्रतिमा बनाई गई।

        यह बहुत मजेदार बात है! जिन्होंने जीसस को भी गौर से देखा उनको जीसस नहीं दिखाई पड़े; जिन्होंने महावीर को गौर से देखा उनको महावीर दिखाई नहीं पड़े; जिन्होंने कृष्ण को गौर से देखा उनको कृष्ण दिखाई नहीं पड़े। अगर पूरी अटेंशन से इस तरह के लोग देखे जाएं तो वहां सिर्फ विद्युत की ऊर्जा ही दिखाई पड़ेगी; वहां कोई व्यक्ति दिखाई नहीं पड़ेगा।

    यह……तुम्हारे प्रत्येक दो शरीर के बाद यह ऊर्जा बड़ी होती जाएगी। और चौथे शरीर के बाद यह ऊर्जा पूर्ण हो जाएगी। पांचवें शरीर पर ऊर्जा ही रह जाएगी। छठवें शरीर पर यह ऊर्जा अलग दिखाई नहीं पड़ेगी, यह ऊर्जा चांद तारों से, आकाश से, सबसे जुड़ जाएगी। सातवें शरीर पर ऊर्जा भी दिखाई नहीं पड़ेगी, पहले मैटर खो जाएगा, फिर एनर्जी भी खो जाएगी; पहले पदार्थ खो जाएगा, फिर शक्ति भी खो जाएगी।

जिन खोज तीन पाइया

ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts