सेठ चंदूलाल ने अपने मित्र ढब्यू जी से कहा, ‘मेरे दात में बहुत दर्द है। ढब्यू जी क्या करूं?’
ढब्यू जी ने कहा, ‘कुछ करने की जरूरत नहीं। मेरे भी दात में एक बार ऐसा
दर्द हुआ था। मैं अपने घर गया और मेरी पत्नी के एक चुम्बन मात्र से ही सारा
दर्द खतम हो गया। इसलिए मेरी मानो और जैसा मैंने किया, वैसा करो!’
सेठ चंदूलाल बोले, ‘बात तो बिलकुल ठीक है। लेकिन क्या तुम्हारी पत्नी इस बात के लिए राजी हो जाएगी!’
मुल्ला नसरुद्दीन बेटा फजलू से कह रहा था, ‘पापा, मैं पढ़ी लिखी, बुद्धिमान, कुशल, सुशील और सुंदर लड़की से शादी करूंगा।
नसरुद्दीन ने कहा, ‘मतलब! फजलू पांच लड़कियों से एक साथ शादी करना चाहते हो!’
एक स्री ने किसी फोटोग्राफर से मेले में पूछा, बच्चों की फोटो किस रेट से उतारते हो!’ फोटोग्राफर ने कहा, ‘दस रुपये में बारह!’
‘तब तो मैं बाद में आऊंगी।’
फोटोग्राफर ने कहा।’ क्यों? ‘
उसने कहा, ‘ अभी तो मेरे दो बच्चे हैं!’
समझने के ढंग! अपनी अपनी समझ!
एक युवती जैसे ही नदी में कूदने को थी कि चौकीदार ने उसे टोक दिया,
रोक दिया। बोला कि, ‘नदी में नहाने की मनाही है।’ युवती ने गुस्से में
कहा, ‘जब मैं कपड़े उतार रही थी, तभी तुमने यह बात क्यों न बतायी?’
चौकीदार बोला, ‘सिर्फ नहाने की मनाही है, कपड़े उतारने की नहीं!’
एक डाकखाने के पोस्टमास्टर छुट्टी लेकर अपने घर आराम कर रहे थे। बाहर से पोस्टमैन ने आवाज दी,
‘बाबूजी, रजिस्ट्री ले पोस्टमास्टर साहब कमरे के अंदर से ही आंखें मूंदे
चिल्लाकर बोले, ‘अरे कमबखत! आज तो मुझे चैन से रहने दे। मैं छुट्टी पर हूं।
वे बेचारे अपने दफ्तर में ही अपने को समझ रहे थे!
समझ तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ती। वह हमेशा खड़ी है वहा और
प्रत्येक चीज की व्याख्या करती रहती है।
एक अत्यंत सुंदर नवयुवती ने एक
नवजवान भिखारी को पेटभर खाना खिलाकर कहा, ‘और कुछ?’ भिखारी ने कहा, ‘जीसस का वचन याद करो : मनुष्य केवल रोटी के लिए ही नहीं जीना चाहता है!’
किसी गुफा में तीन साधु ध्यानमग्न बैठे थे। एक दिन उधर से शेर गुजरा। छह महीने बाद एक साधु बोला, ‘कितना सुंदर शेर था
एक साल बाद एक साधु बोला, ‘वह शेर नहीं चीता था!’
दो साल बाद तीसरा साधु बोला, ‘यदि तुम दोनो इसी प्रकार लड़ते झगड़ते रहे तो मैं किसी दूसरे स्थान पर चला जाऊंगा!’
ओशो
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