मेरी मान्यता है, तुम जितनी चुनौतियों का सामना करोगे, उतना ही तुम्हारे
भीतर जागरण बढ़ेगा। हर चुनौती का सामना करना विकास है। हर चुनौती एक सोपान
है, एक सीढ़ी है। हर चुनौती तुम्हें जगाने का एक अवसर है। अगर तुम जरा कला
सीख जाओ जागने की: वही ध्यान है कला, तो तुम हर चुनौती से लाभ उठा लोगे। जो
चुनौती अगर तुम बेहोश उसका सामना करो तो नर्क ले जाती है, वही चुनौती
होशपूर्वक सामना करने से स्वर्ग बन जाती है।
चीन का एक सम्राट एक झेन फकीर के पास गया और उसने कहा कि मैं जानना
चाहता हूं स्वर्ग और नर्क होते हैं या नहीं? इसका मुझे प्रमाण चाहिए। मैं
बातचीत सुनने नहीं आया। शास्त्र मैंने सब पढ़े हैं, और बड़े-बड़े ज्ञानियों की
बातें सुनी हैं, मगर मैं यह प्रमाण चाहता हूं कि स्वर्ग और नर्क होते हैं
या नहीं? उस फकीर ने सम्राट की तरफ देखा और कहा: तुम हो कौन? सम्राट ने कहा
कि आपको समझ में नहीं आता कि मैं कौन हूं? मैं सम्राट हूं! वह फकीर हंसने
लगा, बोला: हाऱ्हा, शकल देखी है आईने में? उल्लू के पट्ठे! मक्खियां
भिनभिना रही हैं! सम्राट! सम्राट तो एकदम आगबबूला हो गया कि यह तो हद्द हो
गई! इस तरह का अपमान कभी किसी ने किया नहीं था।…भूल गया, निकाल ली तलवार।
तलवार चमक गई! फकीर की गर्दन के पास जा रही थी, फकीर ने कहा: एक क्षण रुक,
यही नरक का द्वार है। एक क्षण रुकना उस घड़ी में, और बात समझ में आ गई
सम्राट को कि नरक का द्वार यही है। तलवार वापिस म्यान में गई। सम्राट के
चेहरे का भाव बदला। और फकीर ने कहा: यही स्वर्ग का द्वार है।
स्वर्ग और नर्क दूर-दूर नहीं हैं। एक ही चुनौती; कैसे ली, इस पर निर्भर
करता है। वही चुनौती है। क्रोध की चिनगारी फेंकी गई, तुम उत्तप्त हो गए,
ज्वर-ग्रस्त हो गए, निकाल ली तलवार नर्क हो गया! जलोगे आग में; कल नहीं,
अभी यहीं। आग पैदा हो गई। रख दी तलवार। बोध हुआ, होश आया कि यह मैं क्या कर
रहा हूं? यही स्वर्ग का द्वार है। चुनौती वही है।
चुनौती से मत भागना।
कहे वाजिद पुकार
ओशो
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