अकबर के दरबार में दो राजपूत युवक आए। दोनों भाई थे। और अकबर से जाकर उन्होंने कहा कि हम कोई नौकरी खोजने की तलाश में निकले हैं। अकबर ने कहा तुम करना क्या जानते हो? उन्होंने कहा हम और तो कुछ नहीं करना जानते, लेकिन हम बहादुर लोग हैं। हो सकता है हमारी आपको कोई जरूरत हो। अकबर ने कहा बहादुरी का प्रमाणपत्र लाए हो कोई? क्या सबूत कि तुम बहादुर हो? वे दोनों हंसने लगे। और उन्होंने कहा बहादुरी का भी कोई प्रमाणपत्र होता है? हम बहादुर हैं। अकबर ने कहा बिना प्रमाणपत्र के नौकरी नहीं मिल सकती। वे दोनों हंसे, उन्होंने तलवारें निकालीं और एक-दूसरे की छाती में एक सेकेंड में वे तलवारें घुस गईं। अकबर तो देखता ही रह गया। वे दोनों जवान जमीन पर पड़े थे, लहू का फव्वारा बह रहा था, लेकिन वे हंस रहे थे। उन्होंने कहा कि अकबर, तुझे पता ही नहीं कि बहादुरी का एक ही प्रमाणपत्र हो सकता है, और वह मौत है। और तो कोई प्रमाणपत्र नहीं हो सकता। वे दोनों मर गए। अकबर की आंख में आंसू आ गए। उसकी कल्पना भी न थी कि यह ऐसी घटना घट जाएगी।
एक राजपूत सेनापति को उसने बुला कर कहा कि एक बड़ी दुर्घटना हो गई। दो राजपूत लड़ कर हत्या कर लिए। मैंने पूछ लिया प्रमाणपत्र! उस राजपूत ने कहा आपने बात ही गलत पूछी। यह तो किसी भी राजपूत के खून को खौला देगी। बहादुरी का कोई और प्रमाणपत्र हो सकता है, सिवाय मौत के! सिर्फ कायर और कमजोर सर्टिफिकेट ला सकते हैं कि हां यह बहादुरी का सर्टिफिकेट हमारे पास लिखा हुआ रखा है। हम फलां आदमी से लिखवा कर लाए हैं कि यह बहादुर है। क्योंकि कोई बहादुर किसी आदमी से लिखवा सकता है कि मैं बहादुर हूं! कोई कैरेक्टर सर्टिफिकेट ला सकता है! आपने बात ही गलत पूछी। आपको पता ही नहीं है कि राजपूत से कैसे पूछना चाहिए! ठीक किया, और यही हो सकता था, और कोई रास्ता ही नहीं था। यही सीधा विकल्प था।
यह जो, यह जो इतना तीव्र क्रोध है, जो इतनी तेजस्विता है, यह व्यक्तित्व की बड़ी महिमापूर्ण गरिमा है। इससे सारी मनुष्यजाति हीन होती चली जाती है। आदमी की सारी तेजस्विता, सारा वीर्य नष्ट होता चला जाता है और हम समझते हैं कि हम बहुत अच्छी शिक्षाओं के अंतर्गत यह कर रहे हैं। यह बहुत अच्छी शिक्षाओं के अंतर्गत नहीं हो रहा है। बच्चों का सारा विकास गलत नियमों के अनुकूल हो रहा है, उनके भीतर पुरुष का कुछ भी विकसित नहीं हो पाता।
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