एक छोटे से गांव में अमरीका के एक दिन एक सुबह घटना घट गई। छोटा सा
गांव, गांव का छोटा सा स्कूल। उस स्कूल में प्रदर्शनी चलती है, वर्ष के अंत
की। बच्चों ने बहुत खेल खिलौने बनाए हैं। उस गांव में एक बूढ़ा भी ठहरा हुआ
है अनजान, अजनबी; घूमने चला आया है। वह उस स्कूल में पहुंच गया। वह
बच्चों के खिलौने देख रहा है। उन बच्चों ने बिजली के खिलौने भी बनाए हैं,
बिजली की मोटर है, बिजली का पानी का जहाज है। वे बच्चे समझा रहे हैं, गांव
के ग्रामीण देख रहे हैं। उन्हीं में एक नया का भी है जो ग्रामीण तो नहीं
मालूम पड़ता, वह भी बड़े गौर से देख रहा है। बच्चे उसे भी समझा रहे हैं। वे
समझा रहे हैं कि बिजली से चलते हैं खिलौने, इलेक्ट्रिसिटी से चलते हैं,
विद्युत से चलते हैं।
वह का पूछने लगा तुम बता सकते हो बिजली क्या है? यह विद्युत क्या है?
वॉट इज इलेक्ट्रिसिटी? बच्चे कहने लगे कि बहुत मुश्किल है। यह तो हमें पता
नहीं। हम तो सिर्फ ये खिलौने बना लिए हैं। हमारा जो शिक्षक है उसे हम बुला
लाते हैं, वह ग्रेजुएट है विज्ञान का, वह बता सकेगा, वह बी. एससी. है। वे
उसको पकड़ लाए हैं।
उस शिक्षक से वह का पूछने लगा कि मैं जानना चाहता हूं कि विद्युत क्या है? वह भी कहने लगा कि विद्युत ऐसे काम करती है।
उसने कहा. वह मैं नहीं पूछता कि हाउ इलेक्ट्रिसिटी वर्क्स? वह मैं नहीं
पूछता। मैं पूछता हूं वॉट इज इलेक्ट्रिसिटी? है क्या? यह नहीं पूछता, कैसे
काम करती है!
उस आदमी ने तो सोचा था कि गांव का का है, यह क्या फर्क कर सकेगा ‘क्या’
और ‘कैसे’ में! लेकिन उस के ने कहा. मैं यह नहीं पूछता, कैसे बिजली काम
करती है, मैं पूछता हूं क्या है?
वह विज्ञान का स्नातक घबड़ाया, क्योंकि विज्ञान सिर्फ कैसे का उत्तर दे
पाता है, क्या का कोई उत्तर नहीं दे पाता! विज्ञान बता सकता हैं हाउ,
व्हाई, क्यों, कैसे, लेकिन विज्ञान नहीं कह सकता वॉट, क्या? क्या का कोई
उत्तर नहीं है। पर इस के ने तो एक ऐसा मामला खड़ा कर दिया जो मुश्किल से
बड़े बड़े विचारक खड़े कर सकते हैं।
उसने कहा कि ठहरिए। मैं अपने प्रधान अध्यापक को बुला लाता हूं वे
विज्ञान के डॉक्टर हैं। वह डॉक्टर भी आ गया। वह भी समझाने लगा कि ऐसे ऐसे
काम करती है बिजली।
उसने कहा कि इससे नहीं चलेगा। मैं पूछता हूं क्या है बिजली? उस प्रधान
अध्यापक ने कहा. क्षमा करिए, आपने हमें बड़ी मुश्किल में डाल दिया। यह तो
बताना बहुत मुश्किल है।
वह का खिलखिला कर हंसने लगा। उसने कहा कि छोड़ो, ‘क्या’ के संबंध में
बच्चे और के सब बराबर हैं। तुम्हारे स्कूल के बच्चे भी उतना ही जानते हैं
बिजली के बाबत, जितना तुम। क्या के मामले में वे भी नहीं जानते, तुम भी
नहीं जानते। और तुम चिंता मत करो, शायद तुम्हें पता नहीं, मैं कौन हूं! मैं
हूं एडिसन। वह था अमरीका का सबसे बड़ा वैज्ञानिक एडिसन, जिसने एक हजार
आविष्कार किए। जिसने बिजली का आविष्कार किया, जिसने रेडियो बनाया। एक आदमी
ने एक हजार खोजें कीं। ऐसा कोई दूसरा आदमी दुनिया में कभी हुआ नहीं। वह था
एडिसन। वह कहने लगा, मैं हूं एडिसन। क्षमा करना, मैं भी नहीं जानता वॉट इज
इलेक्ट्रिसिटी? मुझे भी पता नहीं है कि यह बिजली क्या है? यह बिजली है क्या
बला? यह मुझे पता नहीं है। और वह कहने लगा एडिसन, घबड़ाओ मत, चिंतित मत हो
जाओ। आदमी कभी भी नहीं जान सकेगा कि बिजली क्या है। वह जो क्या, वह जो वॉट,
वहां तो सब ज्ञान मिट्टी हो जाता है।
और परमात्मा का मतलब क्या है? परमात्मा का मतलब है वॉट, क्या! वह है
अल्टीमेट वॉट, वह है अंतिम क्वेश्चन मार्क, वह है आखिरी प्रश्न! वहां आपका
ज्ञान लेकर जाइएगा भीतर? वह अंतिम प्रश्न—चिह्न है, वह है चरम प्रश्न,
आखिरी प्रश्न जीवन के सत्य का। वहां आप ज्ञान लेकर जाइएगा? ये किताबें सिर
पर रख कर लेकर जाइएगा कि हमको गीता लिए भीतर घुस जाने दो, कि हम कुरान लाए
हैं। यह बड़ी पवित्र किताब है। हम यह वेद का बोझ ढो रहे हैं, इतनी दूरी से
लाए हैं इतनी मोटी किताब। हमको भीतर ले जाने दो।
उस द्वार पर लिखा है कि नहीं, ज्ञान भीतर नहीं जा सकता। आप भीतर जा सकते
हैं, ज्ञान बाहर छोड़ दें। ज्ञान के प्रति एक इनडिफरेंस, एक उपेक्षा करनी
पड़ती है, तब आदमी परम ज्ञान में प्रविष्ट होता है। यह बात बड़ी उलटी मालूम
पड़ेगी। ज्ञान जो छोड़ देता है उसे ज्ञान उपलब्ध होता है। जो ज्ञान को पकड़े
बैठा रह जाता है वह अज्ञानी ही रह जाता है, उसे भी ज्ञान उपलब्ध नहीं होता
है।
साधनापथ
ओशो
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