Osho Whatsapp Group

To Join Osho Hindi / English Message Group in Whatsapp, Please message on +917069879449 (Whatsapp) #Osho Or follow this link http...

Wednesday, January 27, 2016

सहज जीवन

सहज जीवन तुम्हारी आंखों के समान है। क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी आंखें लगातार बदलती रहती हैं? और जब वे बदलना बंद हो जाती हैं, तो फिर तुम्हें किसी तकनीकी मदद की आवश्यकता पड़ती है। जब मैं तुम्हारी ओर देखता हूं और तुम मुझसे दस फीट की दूरी पर हो तो मेरी आंखों का फोकस एक प्रकार का होता है। जब मैं पहाड़ियों को देखता हूं जो कि बहुत दूर हैं तो मेरी आंखें तुरंत बदल जाती है। आंखों के लेंस फौरन बदल जाते हैं। केवल तभी मैं पहाड़ियों को देख सकता हूं। और जब मैं चाँद को देख रहा होता हूं तो मेरी आंखें एकदम बदल जाती हैं।



तुम घर में प्रवेश करते हो, वहां अंधेरा है; तुम्हारी आंखें बदल जाती हैं। तुम घर से बाहर आते हो, वहां प्रकाश है, तुम्हारी आंखें बदल जाती हैं। और जब तुम्हारी आंखें बदलना बंद कर देती हैं, तो फिर वे रुग्ण हैं। वे बहती हुई होनी चाहिए, केवल तभी वे देखने में समर्थ हो सकती हैं। तुम्हारी चेतना आख की भांति जितना अधिक बहती हुई, जितना अधिक तरल, बिना किसी ढांचे के, स्थिति के अनुसार बदलती हुई होगी, उतना ही अधिक तुम्हारी चेतना सजग होगी।


ध्यान से तुम्हें एक आंतरिक आँख उपलब्ध होगी जो कि निरंतर बदलती रहेगी, नई परिस्थिति के प्रति निरंतर सजग होगी, लगातार प्रतिसंवेदन करती हुई होगी। किंतु जो भी प्रतिसंवेदन होगा, वह तुम्हारी समग्रता से होगा, न कि किसी ढांचे से; वह प्रतिसंवेदन तुमसे आएगा, न कि तुम्हारे संस्कारों से।

केनोउपनिषद 


ओशो 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts