किसी दूसरे का अहंकार तुम्हें कष्ट दे रहा है, कोई दूसरा तुम्हें बड़ा
मालूम हो रहा है और तुम चाहते हो कि सबसे बड़ा मैं। मुझ से बड़ा कोई भी नहीं।
अहंकार की आकांक्षा यही है कि मुझ से बड़ा कोई भी नहीं है। और कोई दूसरा
तुम्हें बड़ा मालूम पड़ता है। और यह असंभव है कि तुम सभी बातों में सभी से
बड़े हो जाओ। कहीं न कहीं कोई खोट रह जाएगी। कहीं न कहीं कोई कमी रह जाएगी।
अस्तित्व ने उसका इंतजाम रखा है। तुम्हें अहंकार भी देगा तो वह एक आयामी
होगा और बहुत आयामों में तुम दीन रह जाओगे। धन होगा, तो पद नहीं होगा; पद
होगा, सौंदर्य नहीं होगा; सौंदर्य होगा, बुद्धिमत्ता नहीं होगी;
बुद्धिमत्ता होगी, स्वास्थ्य नहीं होगा; कुछ न कुछ कमी रह जाएगी। क्योंकि
अगर तुम्हारा अहंकार तुम्हें पूरा भर दे, कोई कमी न छूटे, तो फिर परमात्मा
की खोज न हो पाएगी। उतना इंतजाम है; कुछ कमी रह जाएगी; वही कमी सालेगी,
खटकेगी, कांटे की तरह चुभेगी। उसकी चुभन सार्थक है।
ईष्या क्या है?
चुभन है। किसी के पास तुम से ज्यादा धन है। किसी ने तुमसे बड़ा मकान बना
लिया, किसी के पास तुम से ज्यादा ज्ञान है, कोई तुम से ज्यादा त्याग कर
दिया, बस तुम्हारे भीतर चुभन पैदा हुई। तुम्हारे भीतर पीड़ा उठी।
राम दुवारे जो मरे
ओशो
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