मैं नगद धर्म में विश्वास करता हूं। मैं तुमसे कहता हूं कि तुम्हें कोई
कर्म नहीं काटने हैं। तुमने अतीत जन्मों में जो भी किया है, वह वैसे ही है
जैसे कोई सपनों में करे। अब सपनों में किए कर्मो के लिए कोई काटना थोड़े ही
पड़ता है। तुम मूर्छित थे, इसलिए तुमसे भूलें हुईं। मूर्छा में भूलें
स्वाभाविक हैं। रात तुमने सपना देखा कि तुम चोर हो और तुम हत्यारे हो, फिर
सुबह जागकर क्या तुम्हें रात चोर और हत्यारे होने के लिए कुछ प्रायश्चित
करना होता है? कोई यज्ञ हवन करवाना होता है? कि कुछ पाप को काटने का
विधि विधान करना होता है?
सुबह जागे, जाना कि सपना था, बात खतम हो गई। मैं
तुम्हें जगाता हूं, जागते ही तुम्हारे सारे पिछले जन्म सपने सिद्ध हो जाते
हैं। क्योंकि मूर्छा में तुम जिए, तुमने जो भी किया, किया नहीं, हुआ; नींद
में हुआ। उसका कोई मूल्य नहीं है।
और मैं तुम से यह भी नहीं कहता कि अगले जन्मों में, जन्मों जन्मों के
बाद तुम्हें उपलब्धि होगी। मैं कहता हूं : अभी और यहीं। तुम्हारी तैयारी
अगर चाहिए तो बस एक, वह जागने की। ध्यान उसकी प्रक्रिया है।
राम दुवारे जो मरे
ओशो
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