किसी भी चीज के लिए तुम्हारा नजरिया हो सकता है। एक बार
तुम्हारा कोई नजरिया होता है, तुम्हारा भोलापन नष्ट हो जाता है। और वे
नजरिया तुम्हारा नियंत्रण करने लगते है। झेन न तो किसी चीज के पक्ष में
है न ही किसी के विपक्ष में। झेन के अनुसार जो कुछ सामान्य है वह ठीक है।
साधारण होना, कुछ नहीं होना, शुन्य होना, बगैर किसी अवधारणा के होना,
चरित्र के बगैर, चरित्र विहीन……
जब तुम्हारे पास कोई चरित्र होता है तुम किसी तरह के मनोरोगी
होते हो। चरित्र का मतलब है कि कुछ तुम्हारे भीतर पक्का हो चुका है।
चरित्र का मतलब है तुम्हारी अतीत। चरित्र का मतलब है संस्कार, परिष्कार।
जब तुम्हारा कोई चरित्र होता है तब तुम इसके कैदी हो जाते हो, तुम अब
स्वतंत्र नहीं रहे। जब तुम्हारे पास चरित्र होता है तब तुम्हारे आसपास
कवच होता है। तुम स्वतंत्र व्यक्ति नहीं रहे। तुम अपना कैद खाना अपने
साथ लेकिन चल रहे हो; यह बहुत सूक्ष्म कैद खाना है। सच्चा आदमी चरित्र
विहीन होगा।
जब मैं कहता हूं चरित्र विहीन तब इसका क्या मतलब होता है। वह
अतीत से मुक्त होगा। वह क्षण में व्यवहार करेगा। क्षण के अनुसार। सिर्फ
वही तात्कालिक हो सकता है। वह स्मृति ने नहीं देखा कि अब क्या करना। एक
तरह की स्थिति बनी और तुम अपनी स्मृति में देख रहे हो इसका मतलब है कि
तुम्हारे पास चरित्र है। जब तुम्हारे पास कोई चरित्र नहीं होता है तब तुम
सिर्फ स्थिति को देखते हो और स्थिति तय करती है कि क्या किया जाना
चाहिए। तब यह तात्कालिक होता है तब वहां जवाब होगा न कि प्रतिक्रिया।
संभोग से समाधि की ओर
ओशो
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