... क्योंकि पल का भरोसा नहीं
है। भलाई एक क्षण भी चूक गई, फिर जरूरी नहीं कि होने का मौका मिलेगा। और
पलभर भी बुराई के लिए रुक गए तो मैं कहता हूं कि फिर कभी न कर पाएंगे।
क्योंकि उतना रुकने में जो समर्थ है, वह बुराई करने में असमर्थ हो जाता है।
ध्यान रखें, एक पल बुराई को रोकने में जो समर्थ है, वह बुराई करने में
असमर्थ हो जाता है। वह बड़ा सामर्थ्य है एक क्षण रुक जाने का सामर्थ्य। जब
आंख में खून उतरने लगे और हाथ की मुट्ठियां भिंचने लगें, तब एक क्षण क्रोध
में रुक जाने का सामर्थ्य इस जगत में बड़े से बड़ा सामर्थ्य है।
ईशावास्य उपनिषद
ओशो
ईशावास्य उपनिषद
ओशो
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