जीसस के मामले में यह बात खुल गयी। और खुल जाने का कारण यह था कि जीसस
के पिता ने कहा कि उसने तो कोई संबंध ही नहीं किया है पली से। पहली दफा
जीसस के मामले में यह छिपा हुआ राज जाहिर हो गया। नहीं तो सचाई यह है कि जब
भी कोई अवतार पैदा हुआ है, उसका संभोग से कोई संबंध नहीं है। भला संभोग
होता रहा हो पति और पत्नी में, लेकिन उसके जन्म का संभोग से कोई संबंध ही
नहीं है।
यह जो जाग्रत में पैदा हुआ व्यक्ति है, इसे मुक्ति के लिए कुछ भी नहीं
करना होता, यह मुक्त ही पैदा होता है। ये तीन अवस्थाएं स्वप्र की, ब्लप्ति
की, जाग्रत की हमारे जन्म और मृत्यु में भी गुंथी हैं।
एक दूसरी तरफ से भी इन तीनों अवस्थाओं का खयाल ले लें।
हिंदू चिंतना स्वप्र, सुषुप्ति और जागृति में तीन शरीरों का भी निर्माण
मानती है। वह कीमती है। स्थूल, सूक्ष्म और कारण, ये तीन शरीर हिंदू चिंतन
मानता है। स्थूल शरीर जाग्रत से संबंधित है। सूक्ष्म शरीर स्वप्र से
संबंधित है। कारण शरीर सुषुप्ति से संबंधित है। जब आप जागे हुए होते हैं, तो
आप स्थूल शरीर हैं। इसीलिए जब आपको ‘ अएनस्थीसिया ‘ दे दिया जाता है, तो
फिर इस शरीर को काटा जाता है और आपको पता नहीं चलता, क्योंकि आप दूसरे शरीर
में होते हैं।
किसी न किसी दिन मेडिकल साइंस इन इलाजों को हिंदू चिंतन से भी समझेगी तो
उसे बड़ा उद्घाटन होगा। किसी दिन चिकित्साशास्र अनुभव करेगा कि इन शाखों
में सिर्फ दर्शन नहीं है, बहुत कुछ और भी है। लेकिन वह इतना सूत्र में है
कि जब तक उसे कोई खोले नहीं, तब तक वह कभी खयाल में आता नहीं। उसका खयाल
में आने का कोई उपाय नहीं है। ऑपरेशन इसलिए किया जा सकता है स्कूल शरीर का
कि आप, आपकी चेतना बेहोशी में स्कूल शरीर से हटकर दूसरे शरीर में प्रवेश कर
जाए अर्थात सुषुप्त में तो इस शरीर पर होनेवाली किसी घटना का कोई पता नहीं
चलेगा। अगर स्वप्र शरीर में प्रवेश कर जाए, तो धुंधला धुंधला पता चलेगा।
क्योंकि स्वप्र शरीर इसके बिलकुल करीब है। जैसे कि कभी कोई आदमी भंग खा
लेता है तो वह रूप शरीर में प्रवेश कर जाता है।
जितने एसिड्स हैं एल. एस. डी., मारिजुआना, मेस्केलीन, भांग, गांजा,
अफीम, चरस, शराब, यह सब कें सब स्थूल शरीर से आदमी को तोड़कर स्वप्र शरीर
में प्रवेश करा देते हैं। इनकी कुल कला इतनी है। तो भांग खाया हुआ आदमी
आपने देखा है? रास्ते पर डोलता हुआ चलता है। पैर ठीक रखना चाहता है, नहीं
पड़ता है। हालांकि उसे लगता है कि मैं बिलकुल ठीक रखता हूं। और फिर भी उसे
लगता है कि कुछ गलत पडता है। असल में इस शरीर में वह है नहीं। वह शराबी जो
रास्ते पर डोलता हुआ चल रहा है, वह दूसरे शरीर में चल रहा है। और यह शरीर
सिर्फ उसके साथ घसिट रहा है। वह सूक्ष्म शरीर में चल रहा है। लेकिन फिर भी
उसे इसका बोध है। अगर आप उसको डंडा मारें, तो उसको चोट लगेगी। हालांकि चोट
उतनी नहीं लगेगी जितना वह स्थूल में होता तब लगती। इसलिए शराबी गिर पड़ता है
रास्ते पर, आपने देखा? आप गिरकर देखें! रोज गिरता है रात नाली में, रोज घर
घसिट कर पहुंचा दिया जाता है। दूसरे दिन सुबह फिर ताजा अपने दफ़र की तरफ जा
रहा है। इसे चोट वगैरह नहीं लगती?
आपने देखा, बच्चे? बच्चे गिर पड़ते हैं, उनको इतनी चोट नहीं लगती। आप
इतने गिरे तो हड्डी पसली तत्काल: टूट जाए। बच्चे स्वप्र शरीर में हैं। अभी
उनका जाग्रत शरीर में आने का उपाय धीरे होगा। आपने देखा है? जब बच्चा पैदा
होता है. मां के पेट में चौबीस घंटे सोता है, पैदा होकर तेईस घंटे सोता है।
फिर बाईस घंटे सोता है। फिर बीस घंटे सोता है। फिर अठारह घंटे सोता है। यह
उसके सुषुप्त शरीर से वह बाहर आ रहा है। यह सुषुप्ति शरीर से वह बाहर आ रहा
है क्रमश:। धीरे धीरे नींद कम होती जाएगी। लेकिन जब वह नींद के बाहर होगा
तब वह अक्सर सपने में होगा....
क्रमशः
ओशो
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