अब दुनिया में वर्षों और जन्मों वाले योग नहीं टिक सकते। अब लोगों के
पास दिन और घंटे भी नहीं हैं। और अब ऐसी प्रक्रिया चाहिए जो तत्काल फलदायी
मालूम होने लगे कि एक आदमी अगर सात दिन का संकल्प कर ले तो फिर सात दिन में
ही उसे पता चल जाए कि हुआ है बहुत कुछ, वह आदमी दूसरा हो गया है। अगर सात
जन्मों में पता चले, तो अब कोई प्रयोग नहीं करेगा। पुराने दावे जन्मों के
थे। वे कहते थे इस जन्म में करो, अगले जन्म में फल मिलेंगे। वे बड़े
प्रतीक्षावाले धैर्यवान लोग थे। वे अगले जन्म की प्रतीक्षा में इस जन्म में
भी साधना करते थे। अब कोई नहीं मिलेगा। फल आज न मिलता हो तो कल तक के लिए
प्रतीक्षा करने की तैयारी नहीं है।
कल का कोई भरोसा भी नहीं है। जिस दिन से हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम
गिरा है, उस दिन से कल खत्म हो गया है। अमेरिका के हजारों लाखों लड़के और
लड़कियां कालेज में पढ़ने जाने को तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं हम पढ़ लिखकर
निकलेंगे तब तक दुनिया बचेगी? कल का कोई भरोसा नहीं है! तो वे कहते हैं
हमारा समय जाया मत करो। जितने दिन हमारे पास हैं, हम जी लें।
हाईस्कूल से लड़के और लड़कियां स्कूल छोड्कर भागे जा रहे हैं। वे कहते हैं
युनिवर्सिटी भी नहीं जाएंगे। क्योंकि छह साल में युनिवर्सिटी से निकलना..
.छह साल में दुनिया बचेगी? अब बेटा बाप से पूछ रहा है कि छह साल दुनिया का
आश्वासन है? तो हम ये छह साल जो थोड़े बहुत हमारी जिंदगी में हैं, हम क्यों न
उनका उपयोग कर लें।
जहां कल इतना संदिग्ध हो गया है वहां तुम जन्मों की बातें करोगे, बेमानी
है; कोई सुनने को राजी नहीं; न कोई सुन रहा है। इसलिए मैं कह रहा हूं आज
प्रयोग हो और आज परिणाम होना चाहिए। और अगर एक घंटा कोई मुझे आज देने को
राजी है, तो आज ही, उसी घंटे के बाद ही उसको परिणाम का बोध होना चाहिए, तभी
वह कल घंटा दे सकेगा। नहीं तो कल के घंटे का कोई भरोसा नहीं है। तो युग की
जरूरत बदल गई है। बैलगाड़ी की दुनिया थी, उस वक्त सब धीरे धीरे चल रहा था,
साधना भी धीरे धीरे चल रही थी। जेट की दुनिया है, साधना भी धीरे धीरे
नहीं चल सकती; उसे भी तीव्र, गतिमान, स्पीडी होना पड़ेगा।
जिन खोज तीन पाइयाँ
ओशो
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