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Monday, October 26, 2015

जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति ८

आपने कभी खयाल किया है कि छोटे बच्चों को सपने में और वास्तविकता में फर्क पता नहीं चलता है। इसलिए रात अगर सपने में उसको किसी ने मार दिया है, तो सुबह भी रोता हुआ उठता है। और वह कहता है किसी ने मुझे मारा। या सपने में किसी ने उसकी गुड़िया छीन ली तो वह सुबह रोता हुआ, सिसकता हुआ उठता है। अभी उसे स्वप्र और जाग्रत के बीच फासला नहीं है। अभी वह स्वप्र शरीर में ही जीता है। इसलिए बच्चों की आखें उतनी सपनीली मालूम पडती हैं। लेकिन इनोसेंट, निर्दोष। उसका कुल कारण इतना है कि वह सपने में आखें खोले हुए है। अभी उसकी दुनिया बड़ी रंग बिरंगी है, सपनों की दुनिया है। अभी सब तरफ तितलियां उड़ रही हैं और सब तरफ फूल खिल रहे हैं। अभी जिंदगी के यथार्थ का कोई आभास उन्हें नहीं हुआ।

उसका कारण?

उसका कारण कि अभी वह जिंदगी के जिस यथार्थ से संबंध होने का मार्ग, जो शरीर है स्थूल, उसमें उनका प्रवेश नहीं हुआ। और प्रकृति इसको जानकर ऐसा करती है। क्योंकि बच्चा अगर चौबीस घंटे सोता है मां के पेट में, तो ही उसका यह शरीर बढ़ सकता है। अगर वह इस शरीर में आ जाए तो शरीर का बढ़ना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि शरीर की बढ़ती के लिए उसकी मौजूदगी बिलकुल जरूरी नहीं है। उसकी मौजूदगी बाधा डालेगी। अभी शरीर में बड़ा आपरेशन चल रहा है। अभी चीजें बढ़ रही हैं, घट रही हैं, फैल रही हैं। अभी यह सब इतना बड़ा काम चल ‘रहा है कि इस बीच उसका जागरण ठीक नहीं है। उसे सोया रहना ठीक है।

इसलिए जो बच्चा सात महीने का पैदा हो जाता है, उसका स्थूल शरीर सदा के लिए कमजोर रह जाएगा। क्योंकि वह सुषुप्ति से स्वप्र में आ गया और अब शरीर के बनने में बाधा पड़ेगी। और जो काम मां के पेट में महीने में हो सकता था, वह बाहर छ: महीने में भी नहीं हो पाएगा। फिर बच्चे का स्वप्र शरीर चलेगा वर्षों तक। क्योंकि अभी भी उसका शरीर बड़ा हो रहा है।

ठीक रूप शरीर से पूरा छुटकारा बच्चा जब ‘सेक्यूअली मेच्योर’ होता है, चौदह साल का होता है तब होता है। और चौदह साल की उम्र में ही जैसे काम प्रौढ़ता आती है, स्थूल शरीर में पूरा प्रवेश होता है। यह जानकर आप हैरान होंगे कि काम की ग्रंथि बच्चे जन्म से ही पूरी लेकर पैदा होते हैं, लेकिन स्थूल शरीर में प्रवेश न होने से काम की ग्रंथि ऐसी ही पड़ी है। चौदह वर्ष में स्थूल शरीर में प्रवेश होगी और काम की पथि सक्रिय हो जाएगी।

इस स्थूल शरीर में प्रवेश को रोका जा सकता है। कम ज्यादा किया जा सकता है।

शायद आपको पता न हो कि हर दस बीस वर्षों में, इधर पिछले पचास वर्षों में ‘सेक्स मेव्योरिटी’ का समय नीचे सरकता जा रहा है। पंद्रह वर्ष में लड़के अगर प्रौढ़ होते थे कामवासना में, अब वे तेरह वर्ष में हो जाते हैं। लड़कियां अगर चौदह वर्ष में होती थीं, तो अब वे बारह वर्ष में हो जाती हैं। और अमरीका में वह संख्या और नीचे सरकती गयी है। अगर हिंदुस्तान में बारह वर्ष में होती हैं, तो अमरीका में ग्यारह वर्ष में होने लगीं। स्विट्जरलैंड और स्वीडन में और भी कम, दस वर्ष में होने लगी हैं। और वैज्ञानिक कहते हैं कि जितना स्वास्थ्य बढ़ेगा, भोजन अच्छा, उतनी जल्दी ‘सेक्स मेच्योरिटी ‘ आ जाएगी। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों को इतना ही खयाल में है लेकिन जगत में जितनी कामवासना की हवा होगी और जितना कामवासना का वातावरण रहेगा  र जितनी कामुकता होगी, उतने जल्दी ही बच्चे अपने स्वप्र शरीर को छोड्कर अपने स्थूल  शरीर में आ जाएंगे....

 क्रमशः 

ओशो 

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