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Monday, October 26, 2015

जाग्रत, स्वप्र और सुषुप्‍ति २

मृत्यु सदा से ही बडे से बडा आपरेशन करती रही है। पूरे प्राणों को इस शरीर से बाहर निकालना है। तो गहन सुषुप्ति  में मृत्यु घटित होती है। जन्म भी सुषुप्ति में ही होता है। इसलिए हमें याद नहीं रहती। पिछले जन्म की याद न रहने का कारण सिर्फ इतना ही है कि बीच में इतनी लंबी सुषुप्ति होती है कि दोनों ओर छोर पर संबंध छूट जाते हैं। सुषुप्ति में ही मृत्यु होती है, सुषुप्ति में ही फिर पुनर्जन्म होता है। माँ के पेट में बच्चा सुषुप्ति में ही होता है।

जो बच्चे माँ  के पेट में सुषुप्ति में नहीं होते हैं, वह या के स्वप्रों को प्रभावित करने लगते हैं। कुछ बच्चे मा के पेट में स्वप्र में होते हैं। बहुत कुछ, बहुत थोड़ी संख्या में  कभी करोड़ में एकाध बच्चा माँ के पेट में स्वप्र की अवस्था में होता है। लेकिन यह वही बच्चा होता है जिसकी पिछली मृत्यु स्वप्र की अवस्था में हुई है। तिब्बत में इस पर बहुत प्रयोग किये हैं। ‘बारदो’ इसका नाम है तिब्बत में, इसके प्रयोग का।

तिब्बत में मरते हुए आदमी को सुषुप्ति में न चला जाए, इसकी चेष्टा करते हैं। अगर सुषुप्ति में चला गया तो फिर उसको इस जन्म की स्मृति मिट जाएगी। तो उसको इस जन्म की स्मृति बनी रहे, तो मरते हुए आदमी के पास विशेष तरह के प्रयोग करते हैं। उन प्रयोगों में उस आदमी को चेष्टापूर्वक जगाए रखने की कोशिश की जाती है। न केवल जगाए रखने की बल्कि उस मनुष्य के भीतर रूप को पैदा करने की भी चेष्टापूर्वक कोशिश की जाती है, ताकि स्वप्र चलता रहे, चलता रहे और उसकी मृत्यु स्वप्र की अवस्था में घटित हो जाए। यदि स्वप्र की अवस्था में मृत्यु घटित हो जाए, तो वह आदमी आनेवाले जन्म में अपने पिछले जन्म की सारी स्मृति लेकर पैदा होता है। इसे हम ऐसा समझें तो आसानी पड़ जाएगी। आप रातभर सपने देखते हैं, यह जानकर आपको शायद भरोसा नहीं हणो। अनेक लोग कहते हैं कि वे सपने देखते ही नहीं। सिर्फ उनको पता नहीं है। अनेक लोग कहते हैं मुझे कभी कभी सपना आता है।

 उन्हें सिर्फ स्मरण नहीं रहता। सपना रात भर देखते हैं। पूरी रात में करीब करीब बारह रूप औसत आदमी देखता है। इससे ज्यादा देखनेवाले लोग हैं, इससे कम देखनेवाले आदमी खोजने मुश्किल हैं। बारह स्वप्र रात्रि के करीब करीब तीन चौथाई हिस्से को घेरते हैं। एक चौथाई हिस्से में सुषुप्ति होती है। बाकी तीन चौथाई में स्वप्र होते हैं। लेकिन आपको याद नहीं रहते हैं। क्योंकि एक स्वप्र गया, उसके बाद सुषुप्ति का अगर एक क्षण भी आ गया तो संबंध टूट जाता है स्मृति का।

आपको जो सपने याद रहते हैं, वे करीब करीब भोर के सपने होते हैं, सुबह के सपने होते हैं। जिनके बाद सूषप्ति नहीं आती, जागृति आ जाती है। जिस सपने के बाद सुषुप्ति नहीं आती और सीधे आप जाग जाते हैं, वही आपको याद रहता है। अगर किसी भी सपने और जागरण के बीच में सुषुप्ति का थोड़ासा भी काल आ जाए, तो स्मृति का संबंध विच्छेद हो जाता है। उसकी स्मृति तो बनती है लेकिन आपको साधारणत: याद नहीं रहती। स्मृति बनती नहीं, ऐसा नहीं है। स्मृति तो निर्मित होती है, लेकिन अचेतन हो जाती है। स्वप्न में भी स्मृति निर्मित हौती है, लेकिन अचेतन हो जाती है। उसका आपको बोध नहीं होता है। चेष्टा की जाए तो अचेतन से उसको जगाया जा सकता है। लेकिन साधारणत: आपको खयाल में नहीं रहता। इसलिए सिर्फ सुबह के सपने याद रहते है.… 

क्रमशः 

ओशो 

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