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Monday, October 26, 2015

जाग्रत, स्वप्र और सुषुप्‍ति ३

इसलिए अधिक लोग तो ऐसा भी सोचते हैं कि मुझे सुबह ही सपना उनाता है। सपने रात भर आते हैं। अब तो इसके लिए वैज्ञानिक आधार उपलब्ध हौ गये हैं। अब तो हमारे पास यंत्र भी उपलब्ध हो गये हैं, जो रातभर बताते रहते हैं कि कब आप सपना देख रहे हैं और कब आप नहीं देख रहे हैं, पर यह मजे की बात है कि सपना देखने में भी आपकी आंख गतिमान हो जाती है, उसी तरह तेजी से आप वस्तुत: अगर जगत में घटना देख रहे होते डे। उसी आंख से पता चलता है कि आप सपना देख रहे हैं। जैसे एक आदमी फिल्म देख रहा है तो जितनी तेजी से उसकी आंख चलती है फिल्म के साथ चलानी पड़ती है जब आदमी सपना देखता है तो उससे भी ज्यादा तेजी से उसकी आंख चलने लगती है पलक के भीतर। रेपिड आइ मूवमेंट्स’। उसको वह कह सकते हैं कि तब पता चल जाता है कि वह सपना देख रहा है।

तो आंख पर यंत्र लगा दिया जाता है। वह यंत्र बताता रहता है कि कब आंख की गति कितनी है। और जब आँख की गति तेज है, तब आपको जगाया जाए तो आप सपना पूरा बता देते हैं उसी वक्त कि क्या सपना देख रहे थे। और जब आंख की गति नहीं होती तब आपको जगाया जाए, तो आप कहते हैं मैं कोई सपना नहीं देख रहा था।
तो अब इस पर निर्णय हो गया कि आदमी सपना देखता है तो आंख उसकी भीतर चलती है जोर से। जैसे वह फिल्म देख रहा हो। तो रात भर प्रयोग करके हजारों लोगो पर जाना गया है। कोई दस हजार लोगों को अमरीका ने इसके पीछे बहुत खर्च किया रात भर सोने का प्रयोगशाला में पैसा दिया है लोगों को। क्योंकि वह अपनी नींद बेचते हैं। उनको बार बार जगाना पड़ता है और रात भर वह बंधे हुए पड़े रहते हैं। यंत्रों के बीच। दस हजार लोगों पर प्रयोग करके यह निर्णय लिया है कि कोई आदमी जो कहता है कि मैं सपने नहीं देखता, वह सच कहता है अपनी तरफ से, लेकिन झूठ कहता है।

 जो आदमी कहता है, मुझे कभी कभी सपने आते हैं, वह भी गलत कहता है। जो लोग कहते हैं हमें सुबह ही सपने आते हैं, वे भी गलत कहते हैं। लेकिन फिर भी उनकी बातों में थोड़ी सच्चाई है। सुबह के सपने याद रहते हैं, क्योंकि जागृति हो जाती है। 

यह मैंने इसलिए कहा था ताकि तिब्बत का ‘बारदो ‘ कों प्रयोग आपके खयाल में आ जाए। तिब्बत ने मनुष्य के रूप पर महत्वपूर्ण काम किया है। शायद पृथ्वी पर किसी देश ने नहीं किया। और उन्होंने यह राज पा लिया कि अगर किसी आदमी को हम सपने की अवस्था में मरने का आयोजन करवा दें, तो वह अपनी इस जन्म की सारी स्मृतियों को लेकर अगले जन्म में प्रवेश कर जाएगा। और इस जन्म की स्मृतियां जिसको अगले जन्म में रहें, उसका अगल जन्म रूपांतरित हो जाएगा। बदल जाएगा। क्योंकि फिर वही मूढूताऐ करने में उसे स्वयं ही बोध होने लगेगा, जो वह कर चुका पहले। फिर वही वासनाएं फिर वही इच्छाएं फिर वही दौड़ और फल तो कुछ भी नहीं था पूरे जीवन का। पिछला जीवन दौड़ दौड़कर रिक्त हो गया, और अंत में मौत हाथ लगी। उन सारी वासनाओं के बाद कुछ हाथ लगा नहीं, सिर्फ मौत हाथ लगी.…

क्रमशः 

ओशो 

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