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Saturday, October 3, 2015

पहला शरीर: मूलाधार चक्र



जैसे सात शरीर है, ऐसे ही सात चक्र भी है। और प्रत्‍येक एक चक्र मनुष्‍य के एक शरीर से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। भौतिक शरीर, फिजिकल बॉडी, इस शरीर का जो चक्र है वह मूलाधार है; वह पहला चक्र है। इस मूलाधार का भौतिक शरीर से केंद्रीय संबंध है; यह भौतिक शरीर का केंद्र हे। इस मूलाधार चक्र की दो संभावनाएं है। एक इसकी प्रकृतिक संभावना है, जो हमें जन्‍म से मिलती है। और एक साधना की संभावना है, जो साधना से उपलब्‍ध होती है।

मूलाधार चक्र की प्राथमिक प्राकृतिक संभावना कामवासना है, जो हमें प्रकृति से मिलती है। वह भौतिक शरीर की केंद्रीय वासना है। अब साधक के सामने पहला ही सवाल यह उठेगा कि वह जो केंद्रीय तत्‍व है उसके भौतिक शरीर का, इसके लिए क्‍या करे। और इस चक्र की एक दूसरी संभावना है, जो साधना से उपलब्‍ध होगी, वह है ब्रह्मचर्य। सेक्‍स इसकी प्राकृतिक संभावना है और ब्रह्मचर्य इसकी ट्रांसफॉमेंशन है, इसका रूपांतरण है। जितनी मात्रा में चित कामवासना से केंद्रित और ग्रसित होगा उतना ही मूलाधार अपनी अंतिम संभावनाओं को उपलब्‍ध नहीं कर सकेगा। उसकी अंतिम संभावना ब्रह्मचर्य है। उस चक्र की दो संभावनाएं है: एक जो हमें प्रकृति से मिली, और एक जो हमें साधना से मिलेगी।

जिन खोजा तीन पाईआ 

ओशो 

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